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जिला उर्दू कोषांग के तत्वधान में आयोजित की गई भाषण प्रतियोगिता

लोकप्रियता व तरक्की के लिए उर्दू का विकास है जरुरी: डीएम

भाषा हमें आलोचना की शक्ति देती है: एसपी 

उर्दू ‘गंगा-जमनी तहजीब का हैं प्रतिक : उप विकास आयुक्त

औरंगाबाद। औरंगाबाद जिले के नगर भवन में मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग (उर्दू निदेशालय) बिहार पटना के तत्वधान में भाषण प्रतियोगिता आयोजित किया गया जिसमें जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल, पुलिस अधीक्षक कांतेश कुमार मिश्रा, उप विकास आयुक्त अंशुल कुमार, सदर अनुमंडल पदाधिकारी प्रदीप कुमार सिंह, उप निर्वाचन पदाधिकारी डॉ जावेद इकबाल सहित कई अन्य मैजूद थे। इस दौरान प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तीतृय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को प्रशस्ती पत्र तथा प्रोत्साहन के लिए राशि भी दिया गया। डीएम ने कहा कि जिला उर्दू कोषांग के तत्वधान में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं को बुलाकर प्रतियोगिता आयोजित की गई और उर्दू भाषा के विकास पर एवं महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। साथ ही प्रतिभागियों को पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि उर्दू बेहतर भाषा है। लोकप्रियता व तरक्की के लिए उर्दू का विकास जरुरी है। मुल्क की तरक्की व उर्दू जुबान के बेहतरी के लिए बिहार राज्य का द्वितीय भाषा उर्दू का विकास के साथ ही छात्रों को उर्दू के तालिम के लिए शिक्षकों को इसकी बुनियादी जानकारी होना जरुरी है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन इस भाषा के विकास के लिए प्रत्येक वर्ष प्रोत्साहन राज्य योजना अंतर्गत छात्र-छात्राओं का विभिन्न विषयों पर प्रतियोगिता का आयोजन कराया जाता है। एसपी ने कहा कि भाषा हमें एक शक्ति देती है कि हमारे बिच में जो भी घटित हो रहे है कि हम उसकी आलोचना करें। कहीं ना कहीं सभ्यता का विकास तकनीक से भले ही हुआ हो लेकिन मानवीय संवेदनाएं भाषा के माध्यम से ही प्राप्त होती है। कविताएं और गजल समझने की आवश्यकता नहीं है, यह फूल की तरह है हम इसे अच्छा महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें लिखना उसी भाषा में चाहिए जिसके सपने देखते हैं। बच्चों में भाषा को लेकर हीन भावना नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे पिताजी भोजपुरी में बातें किया करते हैं। क्योंकि वह हमारा मातृभाषा है और हम उसे अच्छे से समझते हैं। उन्होंने बताया कि उर्दू में इतनी मिठास है कि हर व्यक्ति उर्दू भाषा सिखना चाहता है। विशेष तौर पर उर्दू गजल इतनी लोक प्रिय है, जिसे हर व्यक्ति उपयोग करना चहता है। उप विकास आयुक्त ने कहा कि उर्दू हम तभी विकसित कर सकते है, जब हम आज से हीं अपने घरों में उर्दू भाषा का इस्तेमाल करना शुरू करेंगे। उन्होंने बताया कि उर्दू ”गंगा-जमनी तहजीब का प्रतिक” है इसे किसी एक धर्म से जोड़ा जाना गलत होगा। उर्दू भाषा हिन्दुस्तान में जन्म ली और यहां की सभ्यता एवं संस्कृति का समन्वय स्थापित कर न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में बोला और समझा जाता है। इस मौके पर सौकड़ों लोग उपस्थित थे।

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