
औरंगाबाद। जिला विधिक सेवा प्राधिकार औरंगाबाद के बेनर तले मंडल कारा औरंगाबाद में विधिक जागरूकता कार्यक्रम में कैदियों के अधिकार, गिरफ्तार होने के पूर्व का अधिकार, गिरफ्तारी के समय का अधिकार और गिरफ्तारी के बाद रिमांड स्टेज के अधिकारों के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पैनल लायर सुजीत कुमार सिंह और संचालन पैनल लायर सतीश कुमार स्नेही ने किया। इस दौरान सुजीत कुमार सिंह ने कहा कि प्लि बार्गेनिंग केस के संख्या कम करने का कारगर उपाय है। यह कानून उन धाराओ पर लागू होती है जिसमें सात साल से कम सज़ा के प्रावधान हो। वहीं, पैनल लायर सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्लि बार्गेनिंग एक स्वैच्छिक प्रकिया है। इस प्रक्रिया के तहत आरोपी अपने अपराध को अपने मर्जी से स्वीकार करता है। अपराधी शिकायतकर्ता से समझोता कर, अपराध को कोर्ट के सामने स्वीकार कर न्यायालय से कम से कम सज़ा का मांग करता है। समझोता के तहत पहले पीड़ित को समझोता राशि देने के उपरांत आवेदक को दो से तीन डेट में ही न्यायालय से कम से कम सज़ा या जुर्माना या दोनों सुनाई जाती है। इसका लाभ अभियुक्त जीवन में एक बार ही ले सकते हैं। निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं होता है। इस मौके पर जेेेल प्रभारी उपाधीक्षक कलीम बेग, पारा विधिक स्वयं सेवक अभीषेक कुमार, जेल पीएलभी प्रदीप सिंह सहित सैकड़ों कैदियों ने जागरूकता शिविर में भाग लिया।