राजनीति

देव में गोरेया बांध की स्वीकृति शीघ्र देने पर सांसद का जोर , कहा – सीएम की हाथ से छुट्टा तंत्र का लगाम

मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड क्षेत्र के लिलजी नदी पर गौरेया बांध का निर्माण कार्य वर्षो से न होने से कई एकड़ भूमि असिंचित हैं जिसको लेकर किसान पिछले कई वर्षों से प्रयासरत हैं लेकिन उक्त बांध का निर्माण नहीं हो सका हैं। इस मामले में सांसद सुशील कुमार सिंह ने भी उक्त बांध निर्माण को लेकर गत वर्षों में जल संसाधन विभाग को पत्र लिखा था और किसानों के हित में निर्माण कार्य करने की मांग की थी। लेकिन अब तक निर्माण कार्य नहीं हो सका है।

इसी क्रम में सोमवार को किसान ज़िला मुख्यालय स्थित सांसद आवास पहुंचे और एक बार पुनः निर्माण कार्य करवाने पर जोर दिया। मौके पर सांसद ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लीलजी एक बरसाती नदी हैं, जिस पर बांध निर्माण को लेकर स्थानीय किसान वर्षों से प्रयासरत हैं जिसमे किसान कभी सिंचाई विभाग की चक्कर लगाने को मजबूर हैं तो कभी लघु सिंचाई विभाग की चक्कर लगाने को मजबूर हैं लेकिन उक्त मामले में अब कोई ठोस कार्रवाई न होना चिंता का विषय है। आखिर यह किसकी जबादेही है कि उक्त बांध का निर्माण कार्य करवाए। ये दोनों विभाग जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।

सांसद ने कहा कि बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार जी को इस अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए, ये दोनों विभाग उनके अधीन हैं। वर्ष 2021 में लघु सिंचाई विभाग के अभियंता के साथ सांसद ने स्थल निरिक्षण किया था। मौके पर हजारों जनता भी थी। बांध निर्माण को लेकर एक समिति गठित की गई थी जिसके अध्यक्ष अशोक यादव हैं। वही भाजपा के पार्टी कार्यकर्ता हैदर, रविंद्र सिंह एवं कामता समेत कई लोग सदस्य हैं।

निरीक्षण के क़रीब 6 माह बाद तत्कालीन कार्यपालक अभियंता के द्वारा महत्वपूर्ण समय बर्बाद करने के बाद बताया गया यह योजना बड़ी हैं। इससे 2000 से अधिक हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होने वाली है। इसलिए यह कार्य लघु सिंचाई विभाग से संभव नहीं है। हालांकि यह बात सिंचाई विभाग के समक्ष भी रखा गया लेकिन उसने भी सर्वे के बाद मामले में बताया कि यह योजना 2000 हजार हेक्टेयर से कम हैं। इसलिए यह कार्य सिंचाई विभाग से संभव नहीं हैं।

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सांसद ने कहा कि ऐसे में अब बिहार के मुख्यमंत्री से सीधा सवाल है कि दोनों विभाग आपके अधीन हैं, लेकिन विभाग के मंत्री अलग-अलग जरूर है लेकिन निर्माण कार्य न होना चिंता का विषय हैं। जबकि उक्त निर्माण कार्य इस जंगली पहाड़ी और असिंचित क्षेत्र में काफ़ी महत्वपूर्ण कार्य हैं लेकिन आपकी विभाग जिम्मेदारियों से भाग रही हैं। सांसद ने कहा कि किसानों के प्रति बिहार सरकार की यह रवैया कहीं से उचित नहीं है। किसानों के हित बांध निर्माण आवश्यक है। बिहार सरकार राजनीत कर रही हैं , किसानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। धरातल पर कार्य नगण्य है। इन दोनों पत्रों को मिलने के बाद काफी निराशा हुई है। मुख्यमंत्री तक काफी कम लोग पहुंचते हैं। आलोचना जन प्रतिनिधियों को सुनना पड़ता है। मुख्यमंत्री जी के जनता दरबार में पहुंचने वालों में असंतोष रहता हैं। कई लोग एक नहीं बल्कि तीन – चार बार जाते हैं। इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं होती हैं।

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