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ज़िला मुख्यालय अंतर्गत अवैध प्रतिमा को हटाने के लिए जिला परिषद सदस्य जाएंगे हाईकोर्ट

महापुरुषों की मूर्तियां देती हैं कर्म की प्रेरणा, सीख देतीं महापुरुषों की प्रतिमाएं, युवा पीढ़ी के लिए जीवन से प्रेरणा लेने का वक्त, शहद में लागे कई महापुरुषों की असंवैधानिक रूप से प्रतिमा, जिनकी प्रशासनिक अनुमति नहीं 

मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। ज़िला परिषद की सामान्य बैठक में सर्वसम्मति से पारित शहर के दानी बिगहा स्थित बस स्टैंड का नामकरण बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामविलास सिंह यादव के नाम पर किया गया था जिसे कुछ असमाजिक तत्वों ने अब तक दो बार उनकी नाम का लागे बोर्ड को क्षतिग्रस्त किया गया। पहली घटना मार्च माह की है जिसमें रात्रि के अंधेरे में बोर्ड को कट्टर से काट दिया गया जिसकी शिकायत नगर थाना में दर्ज कराई गई थी। इसके बाद पुनः पहले के अपेक्षा मजबूत और लोहे की बड़ी बोर्ड लगाया गया था। लेकीन इसके वावजूद उसे पुनः हाल ही में असामाजिक तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

इस घटना को लेकर जिला परिषद सभागार में मगंलवार को ज़िला पार्षदों की एक टीम ने प्रेस-वार्ता कर असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की हैं। साथ ही कहा कि इससे दबे-कुचले वंचितों एवं वंचितों की भावनाओं को ठेस पहुंचा हैं। यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिला मुख्यालय अंतर्गत कई महापुरुषों की प्रतिमा लगे हैं, जो किसी प्रतिमा की प्रशासनिक अनुमति नहीं है। इस मौक़े पर जिला पार्षद शंकर यादव, अनिल यादव, सुरेन्द्र यादव, पूर्व मुखिया सुरेन्द्र सिंह, जिला पार्षद प्रतिनिधि श्याम सुंदर, जिला पार्षद अध्यक्ष प्रतिनिधि शैलेश यादव एवं राजेश रंजन सहित अन्य उपस्थित थे।

प्रेस को संबोधित करते हुए ज़िला पार्षद शंकर यादव ने कहा कि बिहार सरकार के पुर्व मंत्री रामविलास सिंह यादव के नाम लगे शहर के दानी बिगहा बस स्टैंड के समीप बोर्ड की तोड़फोड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जिन्हें लगता हैं कि वह असंवैधानिक है तो उन्हें संवैधानिक तरीके से विरोध करना चाहिए ना की तोड़फोड़ कर , इस तरह की गतिविधियां किसी भी परिस्थिति में क्षम्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि हम किसी महापुरुष की प्रतिमा स्थापित करते हैं तो हम उन्हे उचित सम्मान देने का कार्य करते हैं। महापुरुषों की प्रतिमा कर्म की प्रेरणा देती हैं।

लेकिन जिस तरह से सदर प्रखंड के भरथौली गांव निवासी स्वर्णजीत कुमार सिंह के द्वारा उनके दादा स्व. रामविलास सिंह के द्वारा दान की जमीन बताई जा रही है जो कहीं से उचित नहीं है। जिला पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारियों का जो आज आवास है वह जिला परिषद का निरीक्षण भवन वन था लेकिन जब प्रशासन द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया तब उसके बदले में दानी बिगहा की वह जमीन जिला प्रशासन द्वारा जिला परिषद को दी गई। इसके वावजूद यदि उनके पास दान की कोई कागजात हैं तो वह संबधित दस्तावेज़ दिखाएं। हवा- हवाई बात करना और महापुरुष के प्रतिमा की आड़ में दो समाज के बीच में जातिय रंग देना, कहीं से उचित नहीं है। ज़िला पार्षद ने दो बार लगे बोर्ड को तोड़े जाने के संबंध में स्वर्णजीत कुमार सिंह को आरोपी बताया है और उनके खिलाफ अविलंब कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि हमारे महापुरुष की प्रतिमा नहीं लगेगी या उनके नाम से संस्थान का नामकरण नहीं होगा तो फिर मुझे पता है , किन महापुरुष की प्रतिमा संवैधानिक रूप से स्थापित की गई है। हम उसके खिलाफ जनहित याचिका दायर करेंगें।

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ज़िला पार्षद अनिल यादव ने कहा कि पूर्व मंत्री रामविलास सिंह के नाम से दानी बिगहा बस स्टैंड का नामकरण जिला परिषद की समान्य बैठक में पारित हुआ था जिसका सभी सदस्यो ने सर्व सम्मति से पारित किया था। इसके वावजूद उसमें किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा उपेक्षित मानसिकता से ग्रस्त होकर उल-जलूल बात करना किसी भी रूप में उचित नहीं है, उन्होंने स्वर्णजीत कुमार सिंह के खिलाफ जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग की हैं। कहा महापुरुषों का अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस संबध में जिला परिषद के अध्यक्ष एवं सदस्य हाई कोर्ट जाएगा।

जिला पार्षद प्रतिनिधि श्याम सुंदर ने कहा कि यह कार्य घृणित मानसिकता को दर्शाता हैं। आज जहां हम अपने पूर्वजों, समाजसेवियों, मंत्रियों, समाज व देश में विशेष योगदान देने वाले महापुरुषों की आदम कद प्रतिमा स्थापित कर यथोचित उन्हें सम्मान देने का कोशिश करते हैं। वहीं इस तरह की घटना ओछी मानसिकता का परिचायक हैं।

पिछड़ों के ‘सूरमा’ कहे जाते थे रामविलास सिंह यादव – जिला पार्षद सुरेन्द्र यादव ने कहा कि ज़िले में पिछड़ों के ‘सूरमा’ कहे जाने वाले रामविलास सिंह यादव सात विभागों के मंत्री रहे। लेकिन कभी उनके दामन पर दाग नहीं लगा। उनके जाति तोड़ो और समाज जोड़ो के सिद्धांत पर आज चलने की आवश्यकता है। वे जात-पात पर विश्वास नहीं रखते थे। जिला पार्षद प्रतिनिधि शैलेश यादव ने कहा कि सामजिक सद्भावना के आधार पर समाज का उत्थान किया। उनका मानना था कि जब समाज बढ़ेगा तभी प्रदेश भी विकास की ओर आगे बढ़ेगा। हम सभी को उनके आदर्शों को अनुशरण करने की जरूरत हैं। रामविलास बाबू के आदर्शों व विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। इंसान अपने कर्म के आधार पर याद किया जाता है। ऐसे महापुरुष के नाम से प्रस्तावित स्थल पर लगे बोर्ड को काट कर ले भागना निंदनीय हैं। पुर्व मुखिया सुरेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ लोगों उन्माद और ज़िले में अशांति पैदा करने की मंशा रखते हैं जिसके कारण लक्षित करके जिस प्रकार से इस घटना को अंजाम दिया गया है। यह निंदनीय है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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