मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। होली पर रंगोत्सव से पूर्व अलग-अलग सड़क हादसों में आधे दर्जन लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के उपरांत परिजनों को सौंप दिए। हादसों के बाद मृतकों के परिवारों में कोहराम मच गया। मृतकों में मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के ममका खैरा गांव निवासी 28 वर्षीय जितेंद्र पासवान, ओबरा थाना क्षेत्र के अतरौली गांव निवासी 51 वर्षीय राम विनय कुमार, रिसियप थाना क्षेत्र के राजपुर गांव निवासी 20 वर्षीय राहुल कुमार, छकरबन्धा थाना क्षेत्र के तारचूमा गांव निवासी कामेश्वर सिंह भोगता के 17 वर्षीय पुत्र रंजन कुमार, अंबा थाना क्षेत्र के आर्यभट्ट पब्लिक स्कूल के संचालक परसावा गांव निवासी नरेश मेहता के 30 वर्षीय पुत्र इंदल कुमार मेहता शामिल हैं।
लापरवाही से बढ़ा है दुर्घटनाओं का आंकड़ा –
जिंदगी कीमती है, इसे दुर्घटना से बचाना जरुरी है। थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा बन जाती है और कई बार जान तो बच जाती हैं लेकिन जीवन भर की विकलांगता दे जाती है। इसलिए जरुरी है कि सुरक्षित यातायात के लिए नियमों का पालन किया जाए। तेज रफ्तार व लापरवाही से वाहन न चलाएं। स्वयं वाहन चलाते समय दूसरे वाहन की आवाजाही को लेकर भी सतर्क रहें।
इस बीच थोड़ी से असावधानी होने पर दुर्घटना को अंजाम दे बैठते हैं। इससे अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं या फिर किसी राहगीर को मौत की नींद सुला देते हैं। लोग शराब के नशे में भी वाहन चलाने से गुरेज नहीं करते हैं। न केवल बाइक बल्कि सवारियों को लेकर जाने वाले तीन पहिया और चार पहिया वाहन के चालक भी नशे की हालत में गाड़ी चलाते हैं। ऐसे चालकों की वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में मरने या घायल होने वाले लोगों की संख्या अधिक हो जाती है।
यातायात नियमों का पालन नहीं –
सड़क सुरक्षा के लिए यातायात नियमों का पालन करना जरूरी है। ऐसा किए बिना हम सुरक्षित यात्रा नहीं कर सकते, लेकिन यहां इसका पालन नहीं हो रहा है। बात चाहे जिला मुख्यालय की हो या फिर ग्रामीण क्षेत्रों की, या चौबीस घंटे व्यस्त रहने वाले जीटी रोड की, कहीं भी लोगों को यातायात नियमों का पालन करते नहीं देखा जाता। सड़क पर जैसे-तैसे मनमानीपूर्वक वाहनों को खड़ा कर दिया जाता है। सड़कों पर ही लोग कई तरह के सामान भी रख देते हैं। इन कारणों से न केवल राहगीरों को परेशानी होती है बल्कि सड़क हादसे भी होते हैं। वैसे जिले की सड़कें भी ऐसे हादसों को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। कहीं सड़कों की जर्जरता तो कहीं गलत निर्माण व इसके उबड़-खाबड़ रहने से सड़क हादसे हो रहे हैं।
तीखे मोड़ के कारण भी होते हादसे –
जिले के कई मुख्य मार्ग पर जगह-जगह तीखे मोड़ हैं, जहां एक ओर के वाहन चालकों को दूसरी ओर से आने वाली गाड़ियां दिखाई नहीं पड़ती। इससे वाहनों में टक्कर हो जाती है।
हादसों से नहीं लेते सबक –
आए दिन सड़क दुर्घटना होते रहने के बावजूद लोग ऐसे हादसों से सबक नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि लोग सावधानी नहीं बरतते। न तो यातायात नियमों का पालन करते हैं और न ही बाइक चालक हेलमेट आदि का उपयोग करते हैं।
महकमा भी नहीं गंभीर –
बढ़ते सड़क हादसों पर रोक लगाने की दिशा में संबंधित महकमा भी गंभीर नजर नहीं आता। वाहन चालकों की मनमानी पर रोक लगाने, ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई करने, जर्जर व बेतरतीब ढंग से बनी सड़कों को दुरुस्त करने की जरूरत है। इसके बिना ऐसे हादसों को कम नहीं किया जा सकता है, लेकिन संबंधित विभागों की पहल इस दिशा में न के बराबर देखी जाती है।