औरंगाबाद। देश में जातीय जनगणना को लेकर औरंगाबाद शहर के रामाबांध के समीप चतरा गांव स्थित आरपीएस हॉटल में ओबीसी महासभा की एक दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक व परिचर्चा आयोजित की गई। इस बैठक के मुख्य अतिथि बिहार प्रदेश के ओबीसी महासभा के एड. विरेन्द्र कुमार गोप, ओबीसी ज़िलाध्यक्ष उदय उज्जवल, जिला पार्षद अनिल यादव, ज़िला पार्षद शशि भूषण शर्मा, राजद जिला प्रवक्ता डॉ. रमेश यादव, पैक्स अध्यक्ष राजू यादव, कुटुंबा प्रमुख धमेन्द्र कुमार, सुभाष यादव, संजय यादव, राजद नेता इंदल यादव ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। एड. विरेन्द्र कुमार गोप ने कहा कि देश में जातिगत समीकरण के आधार पर राजनीति करना दशकों से सियासी पार्टियों के लिए एक बहुत बड़ा हथियार रहा है। देश में जिसकी जितनी भागीदारी सरकार उसकी उतनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करें। सरकार की मंशा कुछ ठीक नहीं हैं। जब तक हम अपनी ताकत का आभास सरकार को नहीं कराएंगे तब-तक जाती आधारित जनगणना नहीं होंगी। इसलिए अब वह समय आ चुका की हम अपनी मांगों को लेकर एकजुट होकर इस लड़ाई को मजबूती से लड़ें। ज़िला पार्षद शशि भूषण शर्मा व जिला पार्षद अनिल यादव ने कहा कि ओबीसी वर्ग को सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक आधार पर आबादी के अनुपात में संसाधन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। संसाधनों के वितरण में असमानता को समाप्त करने के लिए समावेशी विकास के लिए पहल की जानी चाहिए। इससे असल मायने में जरूरतमंदों को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक मदद मिलेगी। जनगणना नहीं होने से ओबीसी और ओबीसी के भीतर विभिन्न समूहों की कितनी आबादी है। इसकी सटीक जनाकारी नहीं मिल पा रही है। डॉ. रमेश यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना से उन जातियों का उत्थान हो सकेगा जो आर्थिक और शैक्षणिक तौर से अभी भी काफी पिछड़े हुए हैं। ऐसे में सियासी दलों के लिए ये जानना बहुत ही जरूरी हो जाता है कि किस जाति के लोग किस इलाके में सबसे अधिक हैं और किसका प्रभाव कौन से क्षेत्र में अधिक है। उदय उज्जवल ने कहा कि बिहार के दोनों सदनों में भाजपा जातीय जनगणना का समर्थन करती है तो फिर संसद में क्यों नहीं? अर्थात ये बड़े आश्चर्य की बात है कि हमारे देश में किन्नरों, पशु पक्षियों एवं जानवरों की गिनती हो सकती है, तो फिर पिछड़ी जातियों का क्यों नहीं हो सकता है? 1931 में जाति आधारित जनगणना के आधार पर ही अब तक यह माना जाता रहा हैं कि देश में 52 फीसदी ओबीसी आबादी है। मंडल आयोग ने भी यही अनुमान लगाया कि ओबीसी आबादी 52% है जिसमें ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया जाय लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई है। जातिगत जनगणना सभी तबकों के विकास के लिए आवश्यक है। किस इलाके में किस जाति की कितनी संख्या है, जब यह पता चलेगा तभी उनके कल्याण के लिए ठीक ढंग से काम हो सकेगा। जाहिर है, जब किसी इलाके में एक खास जाति के होने का पता चलेगा तभी सियासी पार्टियां उसी हिसाब से मुद्दों और उम्मीदवारों के चयन से लेकर अपनी तमाम रणनीतियां बना सकेंगी। दूसरी तरफ सही संख्या पता चलने से सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में उन्हें उचित प्रतिनिधत्व देने का रास्ता साफ हो सकेगा। कहा कि जाति के आधार पर वास्तविक संख्या का पता होने पर उनतक अधिक से अधिक विकास कार्यों को पहुंचाने में मदद मिलती है। चूंकि आज भी भारत में कई ऐसी जातियां हैं जो बहुत पिछड़ी हुई है। इस मौक पर पंचायत समिति विकास यादव, राजद प्रखंड अध्यक्ष सुशील यादव, चितरंजन कुमार, संतोष कुमार यादव, निवर्तमान मुखिया सुरेंद्र शर्मा, शिक्षक मनिष एवं लाला यादव सहित कई अन्य उपस्थित थे।