– रामविनय सिंह –
मगध हेडलाइंस: गोह (औरंगाबाद) हसपुरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कोइलवा के झिंगुरी गांव स्थित देवी मंदिर के प्रांगण में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ अनुष्ठान लगातार जारी है। शनिवार को यज्ञ के पांचवा दिन ब्राह्मण विद्वानों द्वारा मंत्रोच्चारण के बीच विधिवत पूजा पाठ किया जा रहा है। मंडप फेरों का कार्यक्रम चालू है जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती ही जा रही है। स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ बाहर से आए हुए तमाम श्रद्धालु भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
मंडप फेरा साथ साथ शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कर श्रद्धालु आनंदित भी हो रहे हैं। श्रीमद् भागवत कथा में भारी भरकम भीड़ देखने को मिल रही है तथा मंडप फेरा में भी श्रद्धालुओं की भारी-भरकम भीड़ हो रही है, लोग उत्साहित व भक्तिभाव से ओतप्रोत है।
राजा को जन्म मरण के बंधन से मुक्त कर दिया भागवत कथा – स्वामी देवेन्द्राचार्य
मुख्य कथावाचक स्वामी देवेन्द्राचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचन में उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष भगवत ज्ञान के माध्यम से धर्म का अर्थ समझाया। साथ ही कहा श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि नारद जी को भगवान के चरणों से निष्काम प्रेम था। इसीलिए उन्हें भगवान का सानिध्य प्राप्त हुआ। यही उपदेश नारद जी ने महर्षि वेदव्यास जी को दिया। जब 17 पुराणों का अध्ययन करने के बाद भी व्यास जी को संतोष नहीं हुआ तो नारद जी ने उन्हें भागवत का विस्तार करने के लिए कहा।
वही कथा वाचक पंडित वेंकटेश रामानुज श्री वैष्णो दास ने कहा कि सुकदेव महाराज जी ने महर्षि वेदव्यास से भागवत का ज्ञान प्राप्त किया। जब राजा परीक्षित को भृगु ऋषि ने 7 दिन के बाद तक्षक नाग के दर्शन से अकाल मृत्यु होने का श्राप दिया। तो राजा परीक्षित अपनी मुक्ति का उपाय ढूंढने लगे। इस दौरान उन्होंने हजारों संतों से केवल एक ही प्रश्न किया कि जल्दी मरने वाले व्यक्ति को क्या करना चाहिए। लेकिन उनके इस प्रश्न का सभी ने कोई उत्तर नहीं दिया।
तब सुकदेव जी ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत का उपदेश दिया और केवल 7 दिन में ही राजा को जन्म मरण के बंधन से मुक्त कर दिया। कथा व्यास ने कहा कि मानव का जन्म 7 दिनों में होता और मृत्यु भी 7 दिन के अंदर होती है। हमारे जीवन में 7 दिनों का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा कि सात का अर्थ सत्य है और सत्य केवल परमात्मा है, यह संसार मिथ्या है। इस संसार में रहने वाला मनुष्य जीवन में परमात्मा से नश्वर वस्तु को मांगता है और फिर दुख भोगता है।