औरंगाबाद। जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों द्वारा समाहरणालय स्थित सभा कक्ष में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन हेतु कोविड-19 के दिशा निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी (दो गज दूरी) मास्क एवं हाथों की साफ-सफाई नियमों का अनुपालन करते हुए समुदाय को फलेरिया हाथी पाव रोग से बचाने के लिए तीन फाइलेरिया रोधी दवाओं डी.ई.सी. अल्बंडाज़ोल तथा आईवरमेक्टिन के साथ-साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार से किया जा रहा है। इसके तहत स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर अपने सामने लाभार्थियों को दवा खिलाएंगे जिसमें दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं अति गंभीर बीमार व्यक्तियों को यह दवाएं नहीं दी जाएंगी। इस मौके पर मौजूद उप विकास आयुक्त अंशुल कुमार ने बताया कि बिहार सरकार द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत 21.12.21 से की जा रही है। यह बिमारी मुख्यतः मच्छरों के काटने से होता हैं। ऐसे में हमें सावधानी बरतने चाहिए जैसे मछरदानी या पूरे शरीर को कपड़ों से ढक कर रखना चाहिएं। वहीं यदि कोई इससे संक्रमित हो जाएं तो उसे नियमित दवाओं का सेवन करना चाहिएं। कहा कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन गतिविधियों का संचालन कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए किया जाएगा। इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी. अल्बंडाज़ोल तथा आईवरमेक्टिन की निर्धारित खुराक स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर दवा का वितरण किया जाएगा। पूरे ज़िले में इस अभियान के तहत 1100 टीम काम करेंगी। उन्होंने मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया है कि वे समाचारों एवं मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों को लिंफेटिक फाइलेरायसिस (हाथी पाव, हाइड्रोसील आदि) से बचाव के लिए दवा खाने के लिए जागरूक करें। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ कुमार महेंद्र प्रताप ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य फाइलेरिया उन्मूलन की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए इस अभियान में सभी योग्य लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए संबंधित दवाओं की खुराक स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त दिलाई जाएंगी। वहीं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाएगा। दवा खिलाते वक्त ध्यान देना है कि इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। साथ ही साथ विशेष ध्यान रखना है कि दवा 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, 1 सप्ताह पूर्व मां बनी माताओं या अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है। आगे उन्होंने कहा कि जिले के अन्य विभागों के साथ साथ संबंध बनाते हुए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में इस बात का विशेष ध्यान देना है कि जो लोग अभियान के दौरान घर पर नहीं है और दवा खाने से वंचित रह गए हैं, उनमें ऐसी भावना पैदा हो और उन्हें इस तरह जागरूक किया जाए कि वह घर वापस लौटने पर अपने गांव की आशा के पास जाएं और अपने हिस्से की फैलेरिया रोधी दबाए अवश्य खाएं। उन्होंने यह भी कहा कि इस अभियान में मीडिया की भूमिका आई. डी. ए कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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