विविध

पितृपक्ष हुआ शुरू पर सिरिस सहित अन्य पुनपुन घाटों पर नहीं है कोई सुविधा, प्रथम पिंड पुनपुन नदी में अर्पित करने की है परंपरा

मगध हेडलाइंस :  औरंगाबाद। जिले के सिरिस स्थित पुनपुन नदी घाट पर पितृपक्ष के अवसर पर अपने पूर्वजों को प्रथम पिंडदान की शुरुआत आज से हो गई. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी के रूप में स्वीकार किया गया है. परंपरा के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितरों के मोक्ष दिलाने हेतु गया में पिंडदान के पूर्व पितृ तर्पण की प्रथम वेदी के रूप में मशहूर पुनपुन नदी में प्रथम पिण्डदान का विधान है. ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अपने पूर्वजों का पिंडदान गया में करता क है उसके पूर्वज जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं इसलिए पिंडदानी गया में पिंडदान व तर्पण करने के पूर्व पुनपुन नदी में प्रथम पिंडदान करते हैं. पुराणों में वर्णित ‘आदि गंगा पुनः पुनः कहकर पुनपुन को आदि गंगा के रूप में महिमामंडित किया गया है और इसकी महत्ता सर्वविदित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थल पर गयासुर राक्षस का चरण है. गयासुर राक्षस को वरदान प्राप्त था कि सर्वप्रथम उसके चरण की पूजा होगी. उसके बाद ही गया में पितरों को पिंडदान होगा. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर पिंडदान करने के बाद ही गया में किया गया पिंडदान पितरों को स्वीकार्य होता है. आदि गंगा कही जाने वाली पुनपुन नदी का उद्गम औरंगाबाद और झारखंड की सीमा से लगा क्षेत्र है जहां से यह नवीनगर से होते हुए औरंगाबाद में प्रवेश करती है तथा बाद में आगे अरवल की ओर निकल जाती है. पुनपुन नदी की सहायक नदियों में बतरे, बटाने, अदरी जैसी प्रमुख नदियां भी हैं. श्रद्धालु मुख्यतः जीटी रोड पर सीरीस गांव के समीप पुनपुन घाट पर पिंडदान अर्पित करते हैं. इसके अतिरिक्त जम्होर इलाके में स्थित रदुआ धाम तथा उसके समीप स्थित पुनपुन और बटाने नदी का संगम भी बड़ा पवित्र माना जाता है तथा वहां पर भी श्रद्धालु पिंडदान करते हैं. रेल से आने वाले यात्रियों के लिए वहां पर अस्थाई रूप से हाल्ट भी बनाया जाता है. अफसोस की बात यह है की इन तीनों स्थलों पर पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. सिरिस स्थित पुनपुन नदी के पिंडदान की प्रथम वेदी पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तरांचल, झारखंड, बिहार, राजस्थान आदि प्रान्तों के अलावा अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!

Adblock Detected

Please remove ad blocer