सरकार के फुल सकते हैं हाथ-पांव
बेरोजगार युवाओं के तेजी से बढ़ती यह तादाद देश के लिए खतरे की है घंटी
औरंगाबाद। बढ़ती बेरोजगारी एक दिन सामाजिक असंतोष का ज्वालामुखी बन कर कभी भी फट सकती हैं जिस युवा शक्ति के दम पर हम विश्व भर में इतराते फिरते हैं। देश की वहीं युवा शक्ति एक अदद नौकरी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है। यह उक्त बातें जिला पार्षद शंकर यादवेदु ने कहा हैं।
आगे उन्होंने कहा कि कड़वी सच्चाई यह है कि प्रतिदिन बढ़ती बेरोजगारी के कारण सबसे अधिक आत्महत्याओं का कलंक भी हमारे देश के माथे पर लगा हुआ है। आने वाले दिनों में रोजगार को लेकर काफ़ी विस्फोटक स्थिति बन सकती है। सरकार की मानसिकता कहीं से आम लोगों के हित में नहीं है।
बेरोजगार युवाओं के तेजी से बढ़ती तादाद देश के लिए हैं खतरे की घंटी
सवाल यह भी है कि इन हालातों में आखिर देश के युवा कहां जाएं, क्या करें, जब उनके पास रोजगार के लिए मौके नहीं हैं, समुचित संसाधन नहीं हैं, योजनाए सिर्फ कागजों में सीमित हैं। पहले ही नौकरियों में खाली पदों पर भर्ती पर लगभग रोक लगी हुई है, उस पर बढ़ती बेरोजगारी आग में घी का काम कर रही है। पढ़े-लिखे लोगों की डिग्रियां आज रद्दी कागज की तरह हो गई हैं, क्योंकि उन्हें रोजगार नहीं मिलता। सरकार को इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए। नए रोजगारों का सृजन करना जरूरी है। युवा देश का भविष्य है तो वह भविष्य क्यों अधर में लटका रहे।
उन्होंने कहा कि यह बेलगाम रफ्तार से बढ़ती में सरकार द्वारा समय-समय पर वेकेंसीयां ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। इसके मद्देनजर हमारी योजनाओं की प्राथमिकताओं में बेरोजगारी उन्मूलन को शामिल कर ठोस कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य की इमारत को मजबूत नींव प्रदान की जा सके।