– डी के यादव
कोंच (गया) गर्मी की दस्तक के साथ भूजल स्तर खिसकने लगा है जितनी तेजी से भूजल स्तर खिसक रहा है इससे आने वाले दिनों में सिंचाई व पेयजल संकट गहरा सकता है। गेहूं के पटवन में अब से ही समस्या खड़ी होने लगी है। गर्म फसलों की खेती कैसे होगी यह किसानों के लिए चिंता का विषय बना है। तिनेरी पंचायत के ग्राम मौलागंज निवासी किसान परमेंद्र यादव, सुमिन्द्र यादव, अशोक आदि बताते हैं कि मोटर से पहले जितना पानी चल रहा था अब उसका आधा चल रहा है। गेहूं की सिंचाई में परेशानी झेलनी पड़ रही है। रात भर मोटर चलाने के बाद भी खेत में पानी आगे नहीं बढ़ रहा है। उनका मानना है कि यदि स्थिति यही रही तो गर्मी के दिन में मोटर नहीं चलेंगे और गरमा फसलों की खेती नहीं हो पाएगी, स्थिति को देख किसान अन्य फसलों की खेती से कतरा रहे हैं। भूजल स्तर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले जहां 30-40 फिट पर डीजल मोटर चला करता था अब वहां 70 से 80 फिट बोरिंग करनी पड़ रही है। इसका मतलब है कि भूजल स्तर लगातार खिसक रहा है उन्होंने बताया कि जब गर्मी के दिन में लेयर नीचे चला जाता है और सिंचाई के लिए डीजल मोटर चलाया जाते हैं तब चापाकल टंग जाते हैं। चापाकल से पानी निकालना मुश्किल होता है। अब से ही कई चापाकल से पर्याप्त पानी नहीं निकल रहा है। एक दो बाल्टी पानी निकलने के बाद चापाकल जवाब देने लग रहा है।
सूखने लगे हैं गांव के कुएं और तालाब : गर्मी से कुएं और तालाब सूखने लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के कई कुएं और तालाब सूखे दिखाई पड़ रहे हैं। इनके सूखने से भूजल स्तर और खिसक रहा है। इधर पृथ्वी से लगातार पानी निकाला जा रहा है और इसका संरक्षण नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में जल संकट गहराने लगा है। गर्मी के दिन में समस्या के गंभीर रूप लेने की आशंका है।