
– रामबिनय सिंह –
मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। पिता की चिंता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है। बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकती। इस सामाजिक सोच से ऊपर उठकर गोह की एक बेटी ने न सिर्फ पिता की अंतिम यात्रा में कंधा लगाया। बल्कि श्मशान घाट पर जाकर मुखाग्नि देकर अपना फर्ज अदा किया। मामला गोह प्रखंड के जमुआइन गांव की हैं। जहां उस गांव निवासी दिनेश महतो की इकलौती पुत्री सुमन कुमारी ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। वह इंटर की छात्रा है। जानाकारी के अनुसार दिनेश महतो क़रीब 15 वर्षों से सिकंदराबाद शहर में रहकर एक निजी कंपनी में काम करते थे। दो साल से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। चिकित्सक के सलाह पर उन्होंने आठ माह पहले हार्ट का ऑपरेशन करवाया था। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण दवाईयों की खर्चा और पारिवारिक बोझ से वे काफ़ी परेशान थे। इसी क्रम में बीते रात उनकी मौत हो गई। उन्हें कोई पुत्र न होने के कारण इकलौती बेटी सुमन ने अर्थी को कंधा दिया और बेटा होने का फर्ज निभाया। इस मौके पर चाचा रामदेयाल महतो, ग्रामीण दिलीप कुमार विश्वकर्मा, नेता कृष्ण, इंद्रदेव महतो, सुरेंद्र सिंह चंद्रवंशी, नरेश महतो, राजेंद्र महतो, सुधीर कुमार मौजूद थे।