वर्तमान परिदृश्य में गीता महाकाव्य की हैं प्रासंगिकता
औरंगाबाद। सदर प्रखंड स्थित औरंगाबाद के अधिवक्ता संघ भवन के प्रांगण में जनेश्वर विकास केंद्र की आनुषंगिक इकाई साहित्य संवाद द्वारा गीता जयंती धूमधाम से मनाई गई। सर्वप्रथम गीता महाकाव्य का पूजन अर्चन किया गया एवं गीता का वाचन किया गया। गीता जयंती के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य संवाद के अध्यक्ष शिवनारायण सिंह ने किया। जबकि संचालन साहित्य संवाद के सचिव सुरेश विद्यार्थी ने किया। वर्तमान परिदृश्य में गीता महाकाब्य की प्रासंगिकता विषयक संगोष्ठी का विषय प्रवेश करते हुए महाराणा प्रताप सेवा संस्थान के पूर्व सचिव अनिल कुमार सिंह ने कहा कि गीता महाकाव्य वर्तमान परिदृश्य में अत्यंत प्रासंगिक हो गई है। इस महाकाव्य में जीवन के सारे रहस्यों की चर्चा की गई है। प्रसिद्ध अधिवक्ता कमलेश कुमार सिंह ने गीता महाकाव्य को जन-जन में प्रसारित करने के लिए इस तरह के आयोजनों पर बल दिया। वही संस्था के केंद्रीय सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने गीता महाकाव्य की प्रासंगिकता को बताते हुए कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में यह जीवन का उत्कृष्ट तथ्य है। वहीं सरपंच संघ के प्रदेश महासचिव रविंद्र कुमार सिंह गीता महाकाव्या की चर्चा करते हुए इसकी प्रासंगिकता पर सनातन के उत्कृष्ट तत्वों के व्याख्या की। प्रोफेसर संजीव रंजन ने गीता महाकाव्य को जीवन शैली का प्रतीक बताया।साहित्य संवाद के अध्यक्ष प्रसिद्ध ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह ने कहा कि गीता महाकाव्य की प्रासंगिकता वर्तमान में बढ़ती गई है क्योंकि वर्तमान दौर में किसी भी समस्या का हल गीता महाकाब्य ही दे सकती है। आज के संगोष्ठी में समाजसेवी रामजी सिंह, वीरेंद्र कुमार ,सुरेंद्र कुमार सिंह, सिद्धेश्वर विद्यार्थी, रविंद्र कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह, डॉक्टर संजीव रंजन, कमलेश कुमार सिंह, राजेंद्र प्रसाद सिंह, कमलेश कुमार सिंह, सुरेश विद्यार्थी सहित अन्य उपस्थित थे।