
विशेष। देश का आम अवाम सरकार की गलत नीतियों के कारण बढ़ती महंगाई की मार झेल रही हैं। पेट्रोल, डीजल व खाद्य वस्तुएंओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि जारी है। परिस्थितियां ऐसी हैं कि जनता अपनी दुखड़ा किसे सुनाएं। यहां जब विपक्ष की कोई औचित्य नहीं रह गयी है तो उनकी क्या विशाद? और रोजगार का वहीं हाल हैं। देखा जाए तो ग़रीब-मज़दूर चौतरफा मार झेल रहा हैं। ये कामाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या? देश में रोज़गर का भी वहीं हाल है। यह वर्ग भूखमरी का शिकार हो चुका है। वहीं निर्वतमान प्रधानमंत्री की बात करें तो, इन्होंने खुले मंच कहा था सौगंध इस मिट्टी की “देश बिकने नहीं दूंगा और न झुकने दूंगा“। जबकि आज तमाम सरकारी उपक्रम औने पौने दामों में निजीकरण की भेट चढ़ चुके हैं। जनता से हर वस्तुओं पर जीएसटी (GST) कर लिए जा रहे हैं बावजूद देश की यथास्थिति सुधारने के बजाय बिगड़ती चली जा रही है। आसमान छूती महंगाई से लोगों में बेहद गुस्सा है। लेकिन सरकार जख्म पर मरहम लगाने की बजाय उस पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। यानी महंगाई को नियंत्रित करने के बजाय पेट्रोल, डीजल व गैस की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी किये जा रहे है।
It’s an amazing piece of writing in favor of all the online visitors; they will get benefit from it I am sure.