जयंतिविविध

कोंच के विभिन्न स्थानों पर संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर का मना जयंती समारोह

      – महताब अंसारी

कोंच(गया) प्रखंड के गांधी उच्च विद्यालय के समीप अंबेडकर की प्रतिमा पर राजद कार्यकर्ताओ ने गुरुवार को पुष्पांजलि अर्पित कर जयंती मनाई। राजद प्रभारी डॉ रामाशीष कुमार ने लोगों को बताया कि 14 अप्रैल के दिन को पूरा देश सविंधान के रचियता डॉ. भीमराव अंबेडकर के जन्मोत्सव के रूप में मनाता है। अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है, जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। डॉ. अंबेडकर का नाम आते ही भारतीय संविधान का जिक्र अपने आप आ जाता है। सारी दुनिया आमतौर पर उन्हें या तो भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका के नाते याद करती है या फिर भेदभाव वाली जाति व्यवस्था की प्रखर आलोचना करने और सामाजिक गैरबराबरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले योद्धा के तौर पर। मौके पर जिला पार्षद पति सत्येन्द्र प्रजापति, मुखिया सह जिला सचिव दिलीप कुमार, सुरेश यादव, सुजीत यादव, दिलीप कुमार दिलेर, राकेश कुमार राधे, विमलेश यादव, महेंद्र गांधी, कौशल दास आदि शामिल रहे। वहीं, उसास देवरा में बाबा साहब का जयंती समारोह पूर्वक मनाया गया। जिसकी अध्यक्षता पैक्स अध्यक्ष महेश यादव व मंच का उद्घाटन जिला पार्षद उतरी शरीफा कुमारी, दक्षिणी जिला पार्षद पति सत्येंद्र प्रजापति, डॉ तुलसी यादव, समिति पिंटू कुमार, मोहन यादव, अवधेश दास आदि शामिल रहे। इधर भाजपा ने देवेंद्र शर्मा की अध्यक्षता में ददरेजी में अंबेडकर जयंती मनाई और जदयू ने जमिलु रहमान की अध्यक्षता में शाहपुर में जयंती को मनाया। वहीं, काबर में भी अम्बेडकर जयंती मनाया गया। जानकारी देते हुए फ़िरोज़ अख्तर ने कहा कि दलित वर्ग को समानता दिलाने के लिए डॉ आंबेडकर ने संघर्ष किया। डॉ. भीमराव अंबेडकर को प्रारंभिक शिक्षा लेने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ा, लेकिन इन सबके बावजूद भी अंबेडकर ने न केवल उच्च शिक्षा हासिल की बल्कि, स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने।उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम अर्पित कर दिया था। डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर समाज में दलित वर्ग को समानता दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे।देश से जाति प्रथा जैसी कुव्यवस्था को हटाने के लिए बाबासाहेब ने तमाम आंदोलन किये थे।

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