डी.के यादव
गया। कोंच प्रखंड के मंझियावां पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत मंझियावां से मैं मुखिया पद के लिए चुनाव लड़ रही थी। इस दरम्यान पंचायत के रामपुर , मंजाठी , बिझहरा , बिझरी , धरहरा , मलह बिगहा , हुसेचक , टनकुप्पा , मंझियावां , भेड़िया बिगहा , छतरपुर , धनु बिगहा , विष्णु बिगहा , कराई तथा कठौतिया गाँव में लोगों से मिलने का मौका मिला। इसी क्रम में जब मैं धरहरा तथा मलह बिगहा गाँव में जाकर लोगों के बीच प्रचार प्रसार करने गई तो दिन के उजाले में ही आधे दर्जन घरों में लोगों को शराब पीते देखी और मैं शराब बंदी कानून व्यवस्था पर चिंतन करना शुरू कर दी। जब चुनाव सर पर हो और शराब का खेल जारी हो तो सोचा जा सकता है कि इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में सही उम्मीदवार का चुनाव लोग कैसे कर पाएंगे। बिहार सरकार ने महिलाओं को भी चुनाव में आरक्षण देकर चुनाव में शामिल होने का अवसर प्रदान किया है। किंतु, चुनाव में शराब और पैसे का इस्तेमाल क्षेत्र के विकास में बाधक है। ऐसे हालात में पंचायत का विकास की उम्मीद करना बेईमानी होगी। सरकार के द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न प्रकार की योजना जिससे आम जनता को लाभान्वित होना है। वे सब इससे वंचित रह जाएंगे जिस उम्मीदवार के अंदर जो प्रतिभा छिपी हुई है वह प्रकट नहीं हो पायेगा और बिचौलियों के माध्यम से लोगों तक काम आंशिक रूप से जा पायेगा। ऐसे में गाँव, घर, समाज तथा क्षेत्र का विकास स्वप्न बनकर रह जायेगा। चुनाव आयोग तथा स्थानीय प्रशासन को शराब तथा पैसे के इस बढ़ते प्रचलन पर लगाम लगाना आवश्यक है नहीं तो बिहार का विकास अधूरा ही रहेगा।