मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। फर्जी चेक से चूना लगाने वाले गिरोह का साइबर पुलिस ने भंडाफोड़ कर एक मास्टर माइंड को गिरफ्तार कर लिया है। पटना में बैठकर चेक तैयार करने वाले 32 वर्षीय मुजाहिद वारसी को पुलिस ने डीआईयू टीम की सहायता से गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया शातिर बदमाश नालंदा जिला के इस्लामपुर का रहने वाला है। इस गिरोह के अन्य शातिर बदमाशों की तलाश की जा रही है। इनके पास से कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं। यह शातिर बदमाश तैयारी के साथ चेक का क्लोन बनाने का काम करता था। चेक इतनी बारीकी से बनाता था कि इसे बैंक के अधिकारी भी देखकर धोखा खा जाते थे।
दरअसल, फर्जी चेक से निकासी के बाद 7 मई को साइबर थाने में मामले दर्ज कराये गए जिसके बाद पुलिस के भी कान खड़े हो गए। मामले में पीड़ित शिवशंकर कुमार ने बताया कि उसके खाते से 92000 रूपये की निकासी कर ली गई। मामले की गंभीरता के आधार पर पुलिस अधीक्षक स्वप्ना गौतम मेश्राम के निर्देशन में पुलिस उपाधीक्षक साइबर थाना अनु कुमारी के नेतत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया जिसमें तकनीकी अनुसंधान के क्रम में ज्ञात हुआ कि एक गिरोह द्वारा फर्जी चेक बना ठगी किया जाता है। संदर्भ में गिरोह के मास्टर माइंड को पटना के आगम कुआं से गिरफ्तार किया गया।
प्रेस वार्ता कर जानकारी देते हुऐ पुलिस अधीक्षक स्वप्ना गौतम मेश्राम ने बताया कि साइबर पुलिस और डीआईयू की टीम को बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने फर्जी चेक बना ठगी करने वाले गिरोह के एक मास्टर माइंड को गिरफ्तार किया है। इसके पास से कई ब्लैक चेक, महंगी टैबलेट, चार मोबाईल फोन, एक पेन ड्राइव, एक यूएसबी डोंगल, ब्लैक चेक काटने वाला ब्लेड, ट्रेन टिकट, एक डायरी जिसमें मल्टीपल अकाउंट का विवरण, चेक प्रिंट करने हेतू ब्लैक कागज़ बरामद किया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है, क्यों कि इसमें कई और लोगों के शामिल होने की आशंका है। गिरफ्तार अभियुक्त के खिलाफ विभिन्न जिलों में ठगी के अलग अलग मामले दर्ज हैं। उसने कांड में अपनी संलिप्ता स्वीकार कर लिया है। मामले में आवश्यक कार्रवाई के उपरांत जेल भेज दिया गया।
इस कार्रवाई में डीआईयू से पुलिस अवर निरीक्षक राम इकबाल यादव, प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षक नेहा रंजन, सिपाही रोहित कुमार एवं डीआईयू की टीम शामिल थीं।
फर्जी चेक बना कर करता था ठगी : चेक क्लोन तैयार करने के बाद यह लोग किसी व्यक्ति की तलाश करते थे जिनके खाते में अच्छी खासी रकम होती थी और उस व्यक्ति का हस्ताक्षर किया हुआ मल्टी सिटी चेक के फोटो कॉपी से फोटोशॉप के द्वारा फर्जी चेक बनाता था जिसमें काफी बारीकी से अकाउंट डिटेल मिटाया जाता था और चेक पर किए गए हस्ताक्षर की प्रैक्टिस करके उस पर फर्जी साइन किया जाता था और चेक तैयार होने के बाद बैंक के ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया जाता था।