मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामविलास सिंह यादव के नाम पर प्रस्तावित ज़िला मुख्यालय के दानी बिगहा स्थित नव निर्माणाधीन बस स्टैंड का नामकरण किया गया था। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से 8 जनवरी 2023 को जिला परिषद की सामान्य बैठक में बहुमत से पारित हुआ था। इसके बाद उक्त जगह पर एक सांकेतिक बोर्ड लगाया था लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा उस बोर्ड को गत रात्रि के अंधेरे में कटर से काट कर ले भागे। इससे लोगों में खासी नाराजगी है जिसको लेकर लोगों ने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की हैं।
इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए राजद जिला प्रवक्ता डॉ रमेश यादव, जिला पार्षद शंकर यादव, शशि भूषण शर्मा, अनिल यादव, ज़िला पार्षद अध्यक्ष प्रतिनिधि शैलेश यादव, संजय यादव समेत कई अन्य ने कहा कि यह कार्य घृणित मानसिकता को दर्शाता हैं। आज जहां हम अपने पूर्वजों, समाजसेवियों, मंत्रियों, समाज व देश में विशेष योगदान देने वाले महापुरुषों की आदम कद प्रतिमा स्थापित कर यथोचित उन्हें सम्मान देने का कोशिश करते हैं। वहीं इस तरह की घटना ओछी मानसिकता का परिचायक हैं।
पूर्व का सांकेतिक बोर्ड –
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों उन्माद और ज़िले में अशांति पैदा करने की मंशा रखते हैं जिसके कारण लक्षित करके जिस प्रकार से इस घटना को अंजाम दिया गया है। यह निंदनीय है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
घटना को लेकर राजद का एक टीम पुलिस अधीक्षक से शुक्रवार को मुलाकात की और यथा शीघ्र मामले में अज्ञात असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की हैं। साथ ही कहा कि यदि मामले में चिन्हित करते हुए अविलंब कार्रवाई नहीं की गई तो हम सभी उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
पिछड़ों के ‘सूरमा’ कहे जाते थे रामविलास सिंह यादव :
उन्होंने कहा कि ज़िले में पिछड़ों के ‘सूरमा’ कहे जाने वाले रामविलास सिंह यादव सात विभागों के मंत्री रहे। लेकिन कभी उनके दामन पर दाग नहीं लगा। उनके जाति तोड़ो और समाज जोड़ो के सिद्धांत पर आज चलने की आवश्यकता है। वे जात-पात पर विश्वास नहीं रखते थे।
उन्होंने सामजिक सद्भावना के आधार पर समाज का उत्थान किया। उनका मानना था कि जब समाज बढ़ेगा तभी प्रदेश भी विकास की ओर आगे बढ़ेगा। हम सभी को उनके आदर्शों को अनुशरण करने की जरूरत हैं। रामविलास बाबू के आदर्शों व विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। इंसान अपने कर्म के आधार पर याद किया जाता है। ऐसे महापुरुष के नाम से प्रस्तावित स्थल पर लगे बोर्ड को काट कर ले भागना निंदनीय हैं।