झारखंड। हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के चैथी ग्राम पंचायत में एक बछड़े का मालिक के प्रति अनोखा प्रेम देखने को मिला। वह मालिक की अंतिम संस्कार में न सिर्फ शामिल हुआ, बल्कि सभी रस्मों को भी बखूबी निभाया। इतना ही नहीं उसने चिता पर रखे शव की अन्य लोगों के साथ परिक्रमा भी की और दांत से दबा लकड़ी भी लाकर चिता पर रखी। बताया जा रहा कि वह वहां से तब तक नहीं हटा जब तक पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन नहीं हो गया।
बताया गया है कि चैथी निवासी मेवा लाल ठाकुर के अंतिम संस्कार के लिए निकली शव यात्रा में गाय का बछड़ा भी शामिल हो गया। श्मशान घाट पहुंचने पर बछड़ा शव के चारों ओर घूमने लगा। सबको लगा कि कोई आवारा जानवर है। लोग उसे मार-मारकर भगाने लगे लेकिन लाठी की मार खाने के बाद भी बछड़ा शव से अलग नहीं हुआ। इस बीच पता चला कि मेवालाल का ही बछड़ा है। यह मार्मिक दृश्य देखकर सब भावुक हो गए। बताया जाता है कि नि:संतान मेवालाल ने इस बछड़े को बेटे की तरह पाल-पोस कर बड़ा किया था।