औरंगाबाद। आजकल निजी स्कूलों की मनमानी से हर कोई वाकिफ है। मनमानी फीस वसूली के कारण जहां छात्रों को काफ़ी परेशानि हो रही हैं वहीं अभिभावकों को आर्थिक चिंताएं सता रही है है। इसी सिलसिले में बिहार अभिभावक महासंघ एवं अखिल विद्यार्थी परिषद के तत्वधान में शहर के कर्मा रोड स्थित चित्रगुप्त सभागार में प्रेस वार्ता आयोजित किया गया। इस दौरान 10 सूत्री मांगों को लेकर बिहार अभिभावक महासंघ के अध्यक्ष शेखर सिन्हा ने कहा कि ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाए। वैसे विद्यार्थी जिन्होंने ऑनलाइन क्लास नहीं किया और स्कूल द्वारा फीस के साथ अन्य शुल्क भी लिया गया है उन्हें सारा पैसा वापस किया जाए। कोरोना महामारी के कारण अभिभावकों के वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण वर्ष 2018-19 के लिए विद्यालयों द्वारा निर्धारित ट्यूशन फीस में 40% की कमी कर केवल ट्यूशन फीस अभिभावकों के इच्छा से किस्तों में लिया जाए। पूर्व में एनसीईआरटी का बुक वर्ग 1 से 10 तक लागू करने का आदेश दिया गया था लेकिन औरंगाबाद के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों द्वारा वर्षों से इन नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है जिसके कारण अभिभावक आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं। इस महामारी से अभिभावकों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। लोगों को अपने बच्चों के स्कूल फीस तक भुगतान करना मुश्किल हो गया है। वहीं निजी स्कूल संचालकों द्वारा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के नियमों का उल्लंघन करते हुए मनमानी एवं बड़े पैमाने पर धन संग्रह किया जा रहा है जिससे अभिभावक को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार के उदासीनता एवं संरक्षण के कारण निजी स्कूल संचालकों की मनमानी लगातार बढ़ रही है और आर्थिक दोहन किया जा रहा है। यह मामला दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण अभिभावकों को आर्थिक संकट की समस्या उत्पन्न हो गई है। जबकि सरकार की सारा व्यवस्था होने के बावजूद सरकारी विद्यालयों का स्थिति खराब है। श्री सिन्हा ने बताया कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से एक विद्यालय का संबद्धता लेकर उसके नाम पर अनेकों स्कूल चलाए जा रहे हैं और शिक्षा के रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन परिस्थितियों में निजी स्कूल संचालकों पर कानूनी कार्यवाई के साथ-साथ अपराधिक मुकदमा भी होना होना चाहिए जिन्होंने जिला प्रशासन एवं सीबीएसई बोर्ड के अनुमोदन एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी के प्रस्वकृति के बिना वर्षो से अवैध रूप से स्कूल चला धन संग्रह कर रहे है। निजी स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारियों के संरक्षण से मुक्त करते हुए। इन परिस्थितियों में निजी स्कूलों पर निष्पक्ष जांच और गलत पाए जाने पर अनुशासनिक कार्रवाई की जाए। श्री सिन्हा ने कहा कि इस मामले में हमने जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल को आवेदन देकर नियम के विरुद्ध चलाए जा रहे निजी स्कूलों एवं उनके मनमानी के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग किया है। यदि उचित कार्रवाई नहीं की जाती है तो हम चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य आशिका सिंह सहित दर्जनों अभिभावक उपस्थित थे।
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