मगध हेडलाइंस: सदर (औरंगाबाद) कोई चीज बेकार नहीं होती। सही तरीके से प्रयोग हो तो बेकार कही जाने वाली वस्तु भी प्रयोग में लाई जा सकती है। कबाड़ समझी जाने वाली चीजों को जुगाड़ में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है इसका जीता-जागता सबूत औरंगाबाद ज़िले के क्लब रोड में देखने को मिला है। जहां कबाड़ से जुगाड़ और फिर कमाल कर दिखाने का हुनर यहां के एक प्रतिभावान कलाकार शशिकांत ओझा ने फ्रेश एवं जंक मेटल पार्ट्स से अपनी कलाकृतियों की रचना करते हैं।
इस बीच उल्लेखनीय है कि गुमनामी के अंधेरे में जी रहे इस कलाकार को उनकी कलाकृति को पहचान दिलाने के लिए औरंगाबाद के डीएम सौरभ जोरवाल ने आगे आए हैं। डीएम ने कबाड़ से कलाकृति बनाने वाले श्री ओझा से मुलाकात की एवं उनके द्वारा बनाए गए कलाकृतियों के बारे में जानकारी प्राप्त की। डीएम ने बताया कि श्री ओझा औरंगाबाद के ये प्रतिभावान कलाकार हैं जिन्होंने फ्रेश एवं जंक मेटल पार्ट्स से कई कलाकृतियों की रचना कर मेक इन इंडिया को सही मायने में परिभाषित किया है। उनके द्वारा हाल ही में ऑटोमोबाइल पार्ट्स का उपयोग कर टाइगर बनाया गया है जो बिल्कुल ही मेक इन इंडिया की लोगो की तरह है।
वहीं कलाकार शशिकांत ओझा ने बताया कि हाल ही में उनके द्वारा ऑटोमोबाइल पार्ट्स का उपयोग कर टाइगर बनाया गया है। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा दानी बिगहा पार्क में स्टेनलेस स्टील का हॉर्स, पटना इको पार्क में वॉल फिगर, पटना चिड़ियाघर में स्टेनलेस स्टील का बटरफ्लाई, एक अन्य स्थान पर बॉल बेयरिंग की गाय इत्यादि भी बनाई गई है। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा जमशेद पुर में भी कई स्कल्पचर बनाए गए हैं।