किसान अपनी मेहनत एवं लगन से कामयाबी की लिख रहे हैं कहानी
औरंगाबाद : ज़िले के बारूण प्रखंड अंतर्गत मौआर खैरा गांव के मुकेश मौआर एक सजग किसान हैं। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा गव्य विभाग के योजनाओं की वह जानकारी नियमित रूप से प्राप्त करते हैं और फिर उनका लाभ लेने की अपनी योजना बनाते हैं। उनकी इस सजगता ने दूसरे किसानों को भी राह दिखाई है। जहां पशुपालन कि व्यवसाय को आमतौर पर घाटे की सौदा माना जाता रहा हैं। जबकि मुकेश मौआर की संघर्ष व सफलता के संदर्भ में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि पशुपालन अब घाटे का व्यवसाय नहीं रही।
इसमें नए प्रयोग की पूरी सम्भावना है। शुरुआत में थोड़ी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन समय के साथ कड़ी मेहनत व संघर्ष बदौलत उन्होंने आज मिसाल कायम की है। आज वे एक सफल पशुपालक और दूसरे किसानों के की लिए प्रेरणा बने हुये हैं। ऐसे में मुकेश मौआर का मानना है कि पशुपालन खेती का अहम हिस्सा हैं।
तकनीक की मदद व आधुनिक तौर-तरीकों के इस्तेमाल से लेबर खर्च व मेहनत को कम कर के आज किसान अपनी कमाई को कई गुना बढ़ा रहे हैं। आज वे मेहनत एवं लगन से अपनी कामयाबी की कहानी लिख रहे हैं। इनके फार्म में फिलहाल 60- 65 गये हैं जिसमें प्रतिदिन लगभग 550 लीटर दूध प्राप्त कर औरंगाबाद शहर में खुद के दुकान पर बेंच कर लाखों की आमदनी कर रहे हैं। वहीं किसान बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबैर (भागलपुर) द्वारा वर्ष 2021 में उत्कृष्ट किसान पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं।