
औरंगाबाद। तीनों कृषि कानून वापस लेने का के फ़ैसले पर ज़िला परिषद शंकर यादवेन्दू ने प्रेस ब्यान जारी कर कहा कि पिछले एक साल से कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे थे। लेकीन अब सरकार की अकल ठिकाने आ गये है। इनकी लाख साजिश एवं दमनकारी नीतियां, किसानों के आगे एक नहीं चली। आख़िरकार मोदी सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा। किसान आंदोलन को दबने के लिए मोदी सरकार ने ना जाने क्या कुछ नहीं किया। अब तक सैंकड़ों किसानों की जाने चली गयी। कई किसानों के घर तबाह कर दिये। लेकिन ख़ैर यह किसानों की मेहनत का ही फल है जिसके चलते सरकार को कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा के लिए मजबूर होना पड़ा। यह जीत देश के अन्नदाता की है। देश के 135 करोड़ जनता की जीत है। इस आंदोलन में किसानों ने बहुत कुछ खोया है। इसका भरपाई सरकार कैसे करेगीं। कहा कि यह घोषणा जरूर की गयी है। लेकीन मोदी सरकार केवल वोट, सत्ता एवं धन्ना सेठ दोस्तों को ही प्राथमिका देती है। जनहित इनके प्रोटोकॉल में नहीं हैं। यदी होता तो, आज देश की जनता को अप्रत्याशित बढ़ती महंगाई, भूखमरी एवं बेरोजगारी से नहीं जूझना पड़ता। कहा कि उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव सर पर है जिसका लाभ ये कुछ इस तरह उठाना चाहते है। जबकि हकीकत तो यह की उन्होंने किसान, मजदूर एवं छात्र – नौजवानों को जीते जी मार डाला। जनता ऐसे अवसर वादी लोगों को नोटिस करें। इनके बहकावे न आए और इनके ईट का जबाब पत्थर से दे।














