राजनीति

जानलेवा साबित हो रही है स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही : समदर्शी

औरंगाबाद। अस्पतालों की दशा सुधारने के लिए सरकार भले ही दावे कर रही हो लेकिन स्थिति उससे एक दम उलट है। कभी दवा न मिलने की बात सामने आती है तो कभी सड़क पर बच्चा जन्म लेने की बात सामने आती है। या फिर भिन्न-भिन्न मामलों से आम आदमी डॉक्टरों की मनमानी या लापरवाही से अपनी जान गवा रहें। इसी सिलसिले में बिहार प्रदेश जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के प्रदेश महासचिव संदीप सिंह समदर्शी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सूबे में सरकारी अस्पताल में डॉक्टर की लापरवाही आम हो गई हैं। रफीगंज सीएचसी में विभाग 23 नवंबर को जैन बिगहा निवासी धर्मेन्द्र दास की 30 वर्षीय पत्नी एवं 10 वर्षीय विकलांग ज्येष्ठ पुत्र के माता सुमिन्त्रा देवी की बंध्याकरण हुई थी। वे रफीगंज प्रखण्ड के बघौरा पंचायत के गेरूआ गांव विवासी है। मृतक भादवा पंचायत के जैन बिगहा गांव विवासी श्रवण दास की पुत्री थी जिसकी शादी गेरूआ गांव निवासी धर्मेन्द्र दास हुई थी। मृतिका सुमित्रा देवी के 10 वर्षीय विकलांग ज्येष्ठ पुत्र के अलावे तीन अन्य दूधमुहे बचें हैं। ऑपरेशन के दौरान आत कट जाने से तबियत बिगड़ गई थी। इसके बाद परिजन औरंगाबाद गया पटना तक इलाज थक चुके थे। इसके पटना के निजी अस्पताल में भर्ती कराई जहां इलाज के दौरान विगत 20 दिसंबर रात्रि को जिंदगी का जंग हार गई। वहीं उसकी मौत हो गई। समदर्शी ने आगे बताया कि ऑपरेशन के दौरान आंत काटे जाने की घटना को गंभीर बताते हुए कहा कि इस तरह की लापरवाही करने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई होनी चाहिए और उन पर हत्या का 302 का मुकदमा चलना चाहिए। क्योंकि यह एक तरह का जघन्य अपराध है, जहां सरकार एक ओर आबादी नियंत्रित करने के लिए बंध्याकरण योजना चला रही है। वहीं डॉक्टर्स की लापरवाही से मरीजों के ही जान पर बन आई है, और इस तरह की घटनाएं उन गरीबों के साथ ज्यादा हो रही है जो सरकारी डॉक्टर्स और सरकार के कार्यक्रमों पर विश्वास करके बंध्याकरण योजना से जुड़ रहे हैं लेकिन अफसोस की बात है कि सरकार की यह योजनाएं ऐसी लापरवाही के कारण परवान चढ़ने से पहले कहीं ना कहीं दम तोड़ देगी, क्योंकि लोगों का विश्वास सरकारी अस्पतालों सरकार के लापरवाही से उठ जाएगा। कहा कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय रफीगंज सीएचसी में कार्यरत डॉक्टरों के लापरवाही की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन करे और इस लापरवाही में लिप्त सभी डॉक्टरों को बर्खास्त कर उन पर 302 का मुकदमा चलाया जाये। इस तरह की घटनाओं से पूरा परिवार सदमे में है और बच्चों का भविष्य अंधकार में हो गया है। राज्य सरकार से अविलंब दस लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के भरण-पोषण के लिए एक व्यक्ति को नौकरी दिए जाने की मांग की है, अन्यथा जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) इस अंधी चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ रफीगंज में लोगों के बीच जन जागरण अभियान चलाकर सरकारी अस्पताल और व्यवस्था तथा डॉक्टरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा करेगा।

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