विविध

जनता दरबार में युवक की फरियाद, पिता नक्सली तो बेटे को सजा क्यों 

             डी.के यादव

गया। गया जिले के कोंच थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम करमा निवासी विजय कुमार आर्य माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व हैं। वे राष्ट्रीय – अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बतौर सेंट्रल कमिटी व पोलित ब्यूरो का सदस्य बन उनकी एक अलग पहचान भारतवर्ष में है। लेकिन वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था के बागी विजय कुमार आर्य के दोनों बेटे (जो एक निजी सड़क निर्माण कंपनी में बतौर इंजीनियर काम कर रहे थे) आईबी और स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों ने कंपनी पर दबाव डालकर नौकरी से निकलवा दिया। सिस्टम का बागी बाप बने और भुक्तभोगी बेटे को बनाया जाये, यह कहां का न्याय है? जिसे लेकर विजय कुमार आर्य के पुत्र ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुंचकर शिकायत की है और नौकरी पर वापस लेने के लिए गुहार लगायी है। आर्य के पुत्र ने कहा है कि मेरे बाप के बदले पुत्र को सजा क्यों दी जा रही है? गुनाह उन्होंने की है तो सजा मुझे क्यों दी जा रही है। बीते 5 माह से वेतन बन्द हो जाने के कारण आर्थिक स्थिति चरमरा गई है और मेरी माँ डिप्रेसन में चली गई हैं। वहीं, फरियादी की बात सुनकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चौंक गए और उन्होंने तुरंत फोन लगाकर इस संबंध में मामले को देखने की बात अधिकारियों से कही है।

 

 

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