
शिक्षिका : रागिनी लाल ओझा
ओ प्रियदर्शिनी ।
प्रिय पुत्री पिता पण्डित की गूंज रहा सुर,
ढूंढ रहा उर, अब रहा न दूर मन मस्तिष्क, शांति, युक्ति की मूर्त कर्म योगिनी तुमने किया बहुत कुछ दिया जन्म देश बंगाल को,
पंजाब की और पूछ अनिश्चित में निश्चित की रही बोल सुन रहा था जग तेरा शोर अभी चाहिए तेरी छवि पुकार रहा भ्रमित भारत का रवि।
मां थी ममता की, शासक थी तू सत्ता की तू आज का शासक है चक्का का चालक आदर्श हुआ घोर, यथार्थ में शुद्ध चोर निज स्वार्थ का बड़ा बोल, देश-गरिमा का किया मोल।
प्रस्तुत कविता स्वर्गीय इंदिरा गांधी को समर्पित है। कवयित्री ने अपनी भावनाओं का इज़हार जिन अल्फाजों में किया है, वह कुछ अनछूए प्रसंगों को स्पर्श कर रहे हैं, कुछ इतिहास के पन्ने खुल रहे हैं।
ขอบคุณสำหรับการแบ่งปันและยินดีต้อนรับสู่ Fun88 แพลตฟอร์มลอตเตอรีสมัยใหม่ที่ผู้เล่นสามารถเพลิดเพลินกับประสบการณ์ผลิตภัณฑ์ที่หลากหลายและหลากหลาย
fun88 mobile app