औरंगाबाद। जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल की अध्यक्षता में फसल अवशेष जलाने की घटना को रोकने हेतु सभी हार्वेस्टर मालिक व संचालकों के साथ बैठक आहूत की गई। जिला पदाधिकारी के द्वारा फसल अवशेष (पराली) जलाने से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे मे जानकारी देते हुये बताया गया कि फसल अवशेष को खेतो मे जलाने से सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, नाक एवं गले की समस्या उत्पन्न होती है एवं मिट्टी का तापमान बढ़ता है जिससे मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है और भी जलकर नष्ट हो जाती है।
मिट्टी में उपलब्ध सुक्ष्य जीवाणु मित्र कीट, केचुआ आदि मर जाते है। इस हेतु सभी हार्वेस्टर संचालकों को निदेश दिया गया कि बिना स्ट्रॉ प्रबंधन प्रणाली के बिना हार्वेस्टर का संचालन नहीं करेंगे। अगर बिना स्ट्रॉ प्रबंधन प्रणाली के हार्वेस्टर चलाते पकड़ा गया तो उनके विरुद्ध एफ आई आर करते हुये हार्वेस्टर जब्त करने की कार्रवाई की जायेगी।
साथ ही साथ फसल अवशेष जलाने वाले किसानो पर क्रिमिनल प्रोसीजर के सुसंगत धारा 133 के तहत कार्रवाई की जायेगी एवं कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार को निदेश दिया गया कि फसल अवशेष जलाने वाले कृषकों को कृषि विभाग के पोर्टल पर किसान रजिस्ट्रेशन को 03 वर्ष के लिये प्रतिबंधित करते हुये कृषि विभाग द्वारा सभी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जाय। साथ ही बैठक में उपस्थित जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि आत्मा योजना के तहत आयोजित किसान चौपाल के माध्यम से प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक, कृषि समन्वयक, सहायक तकनीकी प्रबंधक, किसान सलाहकार को निदेश दिया गया कि किसानों को फसल अवशेष जलाने की घटना को रोकने हेतु उसके दुष्प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाय।