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जलवायु के अनुकूल कृषि से बचेगी खेती, वर्ष 2050 तक तापमान में 2 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक होने वाला हैैं बढ़ोत्तरी

मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। जलवायु अनुकूल कृषि प्रणाली के अंतर्गत प्रखण्ड स्तरीय कृषिक वैज्ञानिक वार्तालाप एवं प्रक्षेत्र भ्रमण का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस, औरंगाबाद मे किया गया। यह प्रशिक्षण सह प्रक्षेत्र भ्रमण कार्यक्रम दिनांक 21 फरवरी से प्रारम्भ हुआ है और 8 मार्च 2022 तक औरंगाबाद जिला के 11 प्रखण्डों से प्रत्येक प्रखण्ड से 100 किसान आते है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. नित्यानंद ने कृषि एवं कृषि संबंधित क्षेत्र में पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को विस्तृत जानकारी दी। साथ कहा की वर्ष 2050 तक तापमान में 2 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोत्तरी होने वाला हैैं जिसके प्रभाव से धान, गेंहू चना, मसूर आदि फसलों मे 40 से 50% तक उत्पादन मे कमी हो सकता हैं। इस जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देखते हुए जलवायु अनुकूल कृषि प्रणाली परियोजना के चयन किया गया। साथ ही कहा का कृषि में सबसे महत्त्वपूर्ण समय होता है अगर सही समय के अनुसार किसान खेती करेें तो उनके उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है अगर समय से पीछे खेती करने से फसल का उत्पादन कम होता है। किसानों से खेती के दौरान आने वाली समस्याओं व उसके निदान के बारे में जानकारी दी। साथ ही कई बिन्दुओं पर खेती के कार्य में आने वाली समस्याओं जैसे धान के बीचड़ा लगाने का सही समय अगर धान की लंंबी अवधि वाली प्रजातियों का 25-30 दिन का बीचड़ा है तो 1, 30 से 35 दिन का है तो 2, 35 से 40 दिन का है तो 3, और 40 दिन से अधिक का है तो 4 पौधा एक साथ लगाएं, मध्यम अवधि वाली प्रजातियों का 22-25 दिन का बीचड़ा है तो 1, 25 से 30 दिन का है तो 2, 30 से 35 दिन का है तो 3, और 35 दिन से अधिक का है तो 4 पौधा एक साथ लगाएं। खेती में आने वाली समस्या जैसे खरपतवार नियंत्रण, चना में लगने वाले फली छेदक किट के लिए प्रोफेनोफोस 750 एमएल एवं नीम का तेल 750 एमएल को 600 लीटर पानी मे घोल बनाकर के फूल आने के पहले छिड़काव करने से इस किट का नियंत्रण हो जाता हैं साथ ही अन्य फसलों मे लगने वाले किट एवं पौध रोग के समाधान के बारे में किसानों को बताया।
ईजीनियर रवि रंजन कुमार ने किसानों को हार्वेस्टर से धान के फसल की कटाई के बाद फसल अवशेष प्रबंधन के साथ ही आगामी फसलों की बिना बिलंब किए हुए फसलों की बुआई मे उपयोग किए जाने वाले फार्म मशीनरीकरण जैसे ज़ीरो टिलेज, हैप्पी सीडर, राइस व्हीट सीडर मशीन, का प्रयोग मे की विधिवत जानकारी दिए तथा इन्होंने कहा की अब बिना मशीनीकरण के खेती संभव नही है। इस कार्यक्रम का संचालन कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने किया एवं किसानों को जलवायु परिवर्तन के बारे में विधिवत जानकारी दिए और कहा कि आये दिन हम देख रहे है औसत वर्षा तो हो रही हैं, वर्षा दिवस में कमी आ रही है एक ही दिन मे अधिक बारिश का होना, बारिश के बीच मे अधिक अंतराल का होना और बेमौसम बारिश का होना, तापमान मे बृद्धि होने से फसल का अवधि से पहले ही पकना जिससे दाने का बिकास नही हो पाता है और उत्पादन कम हो जाता है। साथ ही मौसम पूर्वनुमान के बारे में विधिवत जानकारी दिए जिससे किसानो को आगे आने वाले पांच दिनों की मौसम पूर्वानुमान के जानकारी के साथ साथ खेती की सम्पूर्ण जानकारी हर समय उनको मिलती रहेंगी जिससे किसान लाभ प्राप्त कर सकते है। कार्यक्रम में ओबरा प्रखण्ड के विभिन्न पंचायतों से 100 किसानों ने भाग लिया एवं किसान सलाहकार नीरज कुमार एवं कृषि तकनीकी प्रबंधक अमित कुमार एवं केन्द्र के सभी वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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