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फणीश्वर नाथ रेणु व रामनरेश त्रिपाठी जी का योगदान हिंदी साहित्य के लिए हैं अप्रतिम

मगध हेडलाइंस : जम्होर (औरंगाबाद) सदर प्रखंड स्थित ग्राम जम्होर में बिहार के आंचलिक लेखक फणीश्वर नाथ रेणू जी की 101 जयंती एवं पूर्व छायावादी कवि रामनरेश त्रिपाठी जी की 133 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। साहित्यिक संस्था साहित्य संवाद द्वारा आयोजित जयंती समारोह की अध्यक्षता संस्था के सचिव सुरेश विद्यार्थी ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में मुखिया प्रतिनिधि प्रदीप कुमार सिंह उपस्थित थे। संबोधन के क्रम में कहा कि दोनों ही साहित्यकारों ने हिंदी के विकास में अप्रतिम योगदान दिया। रामनरेश त्रिपाठी जी की राष्ट्रीय खंडकाव्य पथिक हिंदी काव्य धारा की चर्चित कृति है। उन्होंने अपनी लेखनी से हिंदी काव्य में ओजता का वातावरण उत्पन्न किया। त्रिपाठी जी के काव्य की रचना “हे प्रभो आनंद दाता ज्ञान हमको दीजिए। शीघ्र सारे दुर्गुणों को हमसे दूर कीजिए” पहले प्रारंभिक कक्षाओं में सभी बच्चों को पढ़ाई जाती थी फणीश्वर नाथ रेणु जी 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था। उनकी ‘मारे गए गुलफाम’ कृति पर तीसरी कसम चलचित्र का निर्माण हुआ। रेणू जी हिंदी साहित्य के आंचलिक विधा के सशक्त हस्ताक्षर थे। उनकी कृतियां पाठक के मन को अंदर तक उद्वेलित करती है। उनकी मैला आंचल कृति हिंदी साहित्य की अनमोल कृति है। जिसके,माध्यम से उन्होंने पूरे बिहार के आंचलिकता को दृष्टिगत करने का प्रयास किया है। इस जयंती समारोह में सुजीत कुमार सिंह, राणा सुनील सिंह सहित, रामपुकार ओझा, पवन कुमार सिंह सहित अन्य मौजूद रहें।

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