
औरंगाबाद। एक व्यक्ति ऐसा भी जो अपने जीवन संघर्ष में विकलांग को चुनौती दे डाली, अर्थात शारीरिक व आर्थिक मुश्किलों के बावजूद आज वह एक सफल मैकेनिक के साथ-साथ एक अच्छा किसान भी हैं। कहा जाता है कि डिसेबिलिटी तो सिर्फ स्टेट ऑफ माइंड है। यानी विकलांगता सिर्फ मन की स्थिति है। इस वाक्य को कई ने सही साबित किया है। इसी वाक्य को चरितार्थ किया है, अंबा के एक ट्रैक्टर मैकेनिक व पेशे से किसान दीनानाथ वर्मा ने। उन्होंने अपने खुद की ट्रैक्टर गैराज खोल रखी हैं जिससे कई वर्कर रोज़गार प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा वह लीज की लगभग डेढ़ से दो एकड़ भूमि पर पपीते की खेती के अलावा कई अन्य शब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। बात चित के क्रम में श्री वर्मा ने बताया कि पपीते की खेती के माध्यम से वे अच्छी खासी इनकम करते हैं। वहीं उन्होंने इसके फायदे बताते हुये अन्य किसानों को भी परंपरागत खेती के अलावा पपीते की खेती के लिए प्रेरित किया है। कहा कि इसके मार्केट के लिए कहीं अन्य जगह जाना नहीं पड़ता हैं खेत से ही सारे उत्पाद व्यवपारी ले जाते हैं और उचीत दाम दे जाते है।