कुटुंबा(औरंगाबाद) बाल श्रमिकों की विमुक्ति, पुनर्वास एवं बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से शनिवार को प्रखंड स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया। इस टास्क फोर्स में प्रखंड प्रमुख अध्यक्ष, प्रखंड विकास पदाधिकारी सचिव एवं थानाध्यक्ष पर्यवेक्षकीय अधिकारी होते हैं। सरकार के द्वारा 14 नवंबर से बीस नवंबर तक चाइल्ड राइट वीक मनाया जा रहा है।
विदित हो कि 14 नवंबर को बाल दिवस एवं 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर हर जिला में बाल श्रम उन्मूलन का प्रयास जारी है। जिसमें यूनिसेफ भी शामिल है। बच्चों को अधिकार दिलाने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम किया जा रहा है। श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी कुटुंबा अंजू कुमारी ने सभी को बताया कि बाल श्रमिक रखने वाले नियोजक अब सावधान हो जाएं क्योंकि औरंगाबाद जिला में लगातार धावा दल की टीम काम कर रही है।
बाल एवं किशोर श्रम प्रतिरोध व विनियमन अधिकार 1988 एवं संशोधन 2016 के तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों तथा 15 से 18 वर्ष तक के किशोर से कार्य कराना पूर्णतः प्रतिबंधित है। अधिनियम की धारा के उल्लंघन की स्थिति में 6 माह से 2 वर्ष तक जेल और 20 से 50 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान है। दोषी नियोजक को प्रति बाल श्रमिक 20000 रूपया की राशि जिला बाल श्रम एवं पुनर्वास कल्याण कोष में जमा करना होगा।
(मिथिलेश कुमार की रिपोर्ट)