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सरपंचों की बढ़ाई गई ताकत, मुखिया को प्रत्येक वर्ष बुलानी होंगी चार बैठक

विशेष।(मगध हेडलाइंस) त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद बिहार के सभी जिलों में पंचायत चुनाव को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है। इस बार ग्राम पंचायत का चुनाव 11 चरणों में होगी जो 24 सितंबर को पहले चरण और 12 दिसंबर को ग्यारहवें चरण में अंतिम मतदान समपन्न होगें। राज्य निर्वाचन आयोग और जिला प्रशासन द्वारा चुनाव को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष कराने को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है।

इस बार नये सिरे से मुखिया और सरपंच के बीच शक्तियों का बंटवारा: पंचायतों में सबसे अधिक होड़ मुखिया और जिला पार्षद के लिए ही देखी जाती है। इसके बाद पंचायत समिति सदस्‍य और सरपंच के पद का नंबर आता है। इसके पीछे की वजह है, इन पदों को मिली शक्तियां हैं। मुखिया का पद काफी पावरफुल माना जाता है लेकिन इस बार मुखिया और सरपंच के बीच शक्तियों का बंटवारा किया गया है।

सरपंचों के बढ़ाए गए अधिकार: सरपंचों को ग्राम पंचायत की सभा बुलाने और उनकी अध्यक्षता करने का अधिकार के अलावा ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां इन्हें पहले से ही प्राप्त है। अब इनके पास नये सिरे से गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा दाह संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करने का भी अधिकार प्राप्त होगा।

वहीं मुखिया को हर वर्ष करनी होगी चार बैठक: पंचायती राज विभाग के नए नियम के अनुसार मुखिया को अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें करनी होगी। इसके अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्य योजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की भी जवाबदेही होगी।

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