कॉविड-19

परेशान मजदूरों को इस वर्ष काम की उम्मीद

        – डी के यादव

कोंच (गया) लगातार दो साल तक कोरोना के कारण गरीबों के लिए संचालित योजनाओं पर असर पड़ा। कोरोना से लोग उबरे तो पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया। इसके कारण पंचायत से भी उन्हें काम मिलना बंद हो गया। पंचायत चुनाव अब संपन्न हो चुके हैं। नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को शपथ ग्रहण कराकर उन्हें कार्य करने का आदेश भी अब मिलने लगा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि गरीबों को फिर से स्थानीय स्तर पर काम मिलना शुरू हो जाएगा। बता दें कि सरकार की ओर से गरीबों के रोजगार के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है। इसमें सबसे प्रमुख योजना मनरेगा है। इसके तहत गांव के मजदूरों को साल में एक सौ दिन काम मिलना है। लेकिन यह योजना धरातल पर सही रूप में कार्यान्वित नहीं हो पा रही है। पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर मनरेगा से कार्य कराए जाते हैं। जिसमें मजदूरों को काम मिलता है। यह काम मिट्टीकरण, पौधारोपण, तालाब की उड़ाही, नहर की उड़ाही आदि में मिलता है। लेकिन पिछले दो साल से कागज पर भले ही कार्य चालू दिखाया जा रहा हो लेकिन यह वास्तविकता से कोसों दूर है। इस साल करीब छह महीने तक लगातार बारिश हुई। इस वजह से खेतीबारी भी पूरी तरह प्रभावित हुई। इसका असर किसानों के साथ-साथ मजदूरों पर भी पड़ा। किसानों की जहां फसल मारी गई, वहीं मजदूरों को काम नहीं मिल सका। जीविका के माध्यम से महिलाओं को थोड़ा बहुत रोजगार मिला। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से छोटे-मोटे रोजगार कर महिलाएं अपनी परिवार की गाड़ी को आगे खींच रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि करीब एक साल से बालू की भी किल्लत रही। बालू मिलती भी है तो काफी महंगे रेट पर। ऐसे में निर्माण कार्य पर भी पूरी तरह से ब्रेक लगा रहा। इससे गांव के गरीब मजदूरों को सबसे ज्यादा असर पड़ा।वैसे इस साल लोगों को उम्मीद है कि गरीबी उन्मूलन को लेकर संचालित योजनाओं का सही तरीके से लोगों को लाभ मिलेगा। जीविका के माध्यम से नीरा उत्पादन को बढावा देने के लिए सरकार ने एक लाख रुपये तक मदद करने की घोषणा की है। इसके अलावा छोटे-छोटे रोजगार एवं व्यवसाय के माध्यम से भी जीविका दीदियों को काम मिलने की उम्मीद है। इसको लेकर कार्यक्रम तैयार भी किए जा रहे हैं। वहीं मनरेगा से भी अब काम शूरू होने वाला है। उम्मीद की जा रही थी कि अगले महीने से पंचायत के द्वारा मनरेगा के माध्मय से गरीब मजदूरों को काम मुहैया हो सकेगा लेकिन कोरोना महामारी के कारण उसपर भी ग्रहण दिख रहा है।

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