औरंगाबाद। इस बीच औरंगाबाद ज़िले में कथित तौर पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा हैं जिसमें जिला परिषद क्षेत्र संख्या 11 से जिला पार्षद उम्मीदवार आनंद कुमार सिंह ने निर्वतमान जिला पार्षद शंकर यादवेन्दू के अनुपस्थिति में न केवल भद्दी-भद्दी गालियां दी है बल्कि उनकी औकात देख लेने की बात कही है। यह विडीयों इस बात का प्रमाण हैं कि उम्मीदवार की मानसिक स्थिति ठीक नहीं हैं जिन्होंनें मर्यादा की सारी हदें पार दी। यूं कहें कि ऐसी भाषा का प्रयोग आजकल अबोध बच्चे भी नहीं करते हैं। वहीं एक सम्मानित जनप्रतिनिधि के प्रति ऐसी भाषा का प्रयोग कहीं से उचित नहीं है। इस बात को लेकर शंकर यादवेन्दू ने कहा है कि यह हमें नहीं बल्कि उन 09 हज़ार मतदाताओं को अपमानित और भद्दी-भद्दी गालियां दी गयी हैं जिन्होंने हमें पिछले चुनाव में प्यार आशीर्वाद एवं बहुमूल्य वोट देकर जिताने का काम किया है। यह गाली एवं अभद्र व्यवहार उस संकीर्ण मानसिकता का परिचायक हैं जो शुरू से ही दबे कुचले, पिछड़े एवं शोषितों पर हावी रहा है।
इसलीए हम लक्ष्य किये जा रहे हैं। राजनीतिक जीवन की शुरुआत से ही हम इन वर्गों के उत्थान एवं विकास के लिए अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया। इनके हर दुख-सुख में बराबर के भागीदार रहे हैं जिसका यह परिणाम है कि खास जाति विशेष से आने वाले अनांद कुमार सिंह ने जाति आधारित मानसिकता से वशीभूत होकर हमें पिछड़ा और कमजोर समझ कर अपमानित करने का काम किया है। कहा कि हम विरोधियों के कई साज़िशों के शिकार होते रहे। लेकिन खैर लोकतंत्र में जनता मालिक होती है और प्रतिनिधि सेवक होता है। इस अपमान का बदला मालिक रूपी जनता अपनी वोट की ताकत से जरूर लेगी। राजनीति में ऐसे अभ्रद एवं गाली गलौज का कोई स्थान नहीं होता। एक राजनीतिज्ञ समाज एवं देश का निर्णायक होने के साथ मार्गदर्शक भी होता है। ऐसे में मर्यादा की सारी हदें पार करना एक जनप्रतिनिधि को शोभा नहीं देता है। कहा कि आनंद कुमारी सिंह पेसे से एक शिक्षक हैं। कहा जाता है कि एक शिक्षक समाज की आधारशिला होते है। किसी भी देश या समाज के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है, कहा जाए तो शिक्षक समाज का आइना होता है। लेकिन उन्होंने न सिर्फ राजनिति के मानदंड को कलुषित किया है बल्कि आम जनमानस में एक ऐसे भाषा का प्रयोग किया है। जो विचार मात्र से वह घृणा हो गये है।