औरंगाबाद। ओबरा प्रखण्ड के ग्राम पंचायत अमिलौना में कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस के कृषि मौसम वैज्ञानिक, डॉ अनूप कुमार चौबे ने भ्रमण किया। इस मौके पर किसान सलाहकार नीरज कुमार सिंह एवं किसान राजकिशोर सिंह, अरुनजय कुमार, विकास कुमार सहित अन्य उपस्थित थे। राजकिशोर सिंह ने अपने 01 एकड़ खेत मे श्री विधि से धान की प्रजाति बीपीटी 5204 का रोपाई किए है और उन्होंने कहा की खेती की नई तकनीकी को अपनाने के लिए हम हर समय तैयार रहते है। डॉ. चौबे ने धान की फसल में कीट एवं रोगों से बचाव की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस समय धान की फसल में बाली निकल रही है। इस समय कीट एवं रोगों का प्रकोप अत्यधिक दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि धान की फसल में रस चूसक कीट बालियों का रस चूसकर फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। धान का कीट यानि गंधी बग कीट से धान की फसल को बहुत नुकसान होता है। इसके आक्रमण से धान की पैदावार में भरी कमी आ जाती है जिससे किसानों को फायदों की जगह नुकसान का सामना करना पड़ता है। जब धान के पौधों में बालियां बनती हैं और बालियों में दाने बनते है उस दौरान यह कीट कभी भी उत्पन्न हो सकते हैं। शाम के समय यह कीट एक गंदी बदबू छोड़ते हैं।
कीट के प्रकोप का लक्षण शुरुआत में यह कीट कोमल पत्तियों और तनों का रस चूसते हैं जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। धान में बालियां निकलने पर यह कीट दानों का दूध चूस लेते हैं। यह दानों को अंदर से खोखला बना देते हैं। इस कीट के प्रकोप से बालियां सफेद हो जाती हैं साथ ही कुछ दाने बदरंग भी हो जाते हैं।
नियंत्रण के उपाय : इमिडाक्लोरोप्रिड 150 एमएल एवं स्टिकर 150 एमएल को 150 लीटर पानी मे घोल बनाकर एक विघा खेत मे छिड़काव कारें। बेहतर परिणाम के लिए छिड़काव सुबह 8 बजे से पहले या शाम 5 बजे के बाद करें। इस दवा का छिड़काव धान की बालियों पर करें, या गंधी बग को नियंत्रित करने के लिए सुबह या देर शाम को फॉलिडोल पाउडर 5 किलोग्राम प्रति विघा के दर से भुरकाव (डस्टिंग) करने की सलाह दी जाती है। डॉ चौबे ने कहा कि कडूवा रोग (हरदा, लेढा), रोग से बचाव के लिए शीघ्र उपचार करने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में धान की निकलती बालियों पर कडूवा रोग यानी हरदा, लेढा रोग का खेतों में दिखाई देने लगता है। शुरुआती दौर में जब बालियां निकलने लगे और लक्षण दिखाई देते ही प्रोपिकोनाजोल दवा को 02 एमएल एवं स्टिकर 01 एमएल प्रतिलीटर में पानी में घोल बनाकर शीघ्र छिड़काव करें। छिड़काव करते समय ध्यान दें कि मौसम साफ होने पर ही दवा का छिड़काव करें।