
मगध हेडलाइंस : वैसे तो पुलिस को जनता का रक्षक माना जाता है, हर छोटे-मोटे लड़ाई – झगड़े से लेकर हत्या तक के मामलों में जनता पुलिस से मदद की गुहार लगाकर न्याय की उम्मीद करती है। लेकिन सोचिए अगर यही पुलिस खुद जनता का उत्पीड़न करने लगे, आये दिन पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे, बिचौलियों के सहारे पुलिस पर रिश्वतखोरी और मारपीट का आरोप लगने लगे तो स्थितियां क्या होंगी , क्या कोई खुद के साथ हुए अत्याचार की शिकायत करने पुलिस थाने जाएगा। ऐसे में आपका जवाब होगा नही, जी बिलकुल सही जवाब है आपका, क्योंकि थाने अगर जाएगा भी तो पुलिस दोनों पक्षों से पैसा लेकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देगी। पुलिस द्वारा एक पक्ष से कार्रवाई करने का पैसा तो दूसरे से मामले को हल्का करने या कार्रवाई न करने के नाम पर पैसा वसूला जाएगा। पैसा देने के बाद भी आपको न्याय नहीं मिलेगा तो आप पुलिस की शिकायत लेकर भी कहां जाओगे विभाग के उच्चाधिकारियों के पास ही न। लेकिन जब उच्चाधिकारी ही अपने अधीनस्थों पर मेहरबान हो तो जनता के पास सिवाय चुपचाप तमाशा देखने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रहता। कुछ ऐसा ही हाल इस समय औरंगाबाद जिले के गोह थाने का बना हुआ है। जब से थानाध्यक्ष कमलेश पासवान ने थाने की कमान संभाली है , ये सुर्खियों में बने हुए हैं। ताजा मामला थाना क्षेत्र के देवहरा गांव की हैं, जहां के गोरख चौधरी के पुत्र रवि कुमार ने थानेदार पर कई गंभीर आरोप लगाये है। उसने बताया कि बीते 9 अक्टूबर को गांव के ही कपिल चौधरी के साथ विवाद में मार-पीट की घटना घटित हुई थी। इस बात की जानकारी चौकीदार नाथुन पासवान ने थानाध्यक्ष कमलेश पासवान को दिया जिसमें समझौता के नाम पर थानाध्यक्ष ने दोनों पक्ष को थाने पर बुलाया। उसके पक्ष से अखिलेश चौधरी, लोटन चौधरी, विनय चौधरी, राजू चौधरी एवं राजेश चौधरी थाने पर गए थे जिसमें पांचों को हिरासत में ले लिया गया और आरोप लगाया गया कि इन सभी ने शराब का सेवन किया है। मौक़े पर थाना क्षेत्र के ही शेखपुरा गांव निवासी सुदर्शन पासवान उर्फ भोला पासवान ने कहा कि सभी को छोड़ने के लिए थानाध्यक्ष 35000 रूपये मांग रहे हैं, और यहीं से मामले को रफा दफा कर दिया जायेगा। तत्पश्चात आनन-फानन में उसने किसी तरह पैसे की व्यवस्था कर , 14000 रूपये भोला पासवान के पे – फोन पर पैसे ट्रांसफर किया और शेष नगद रूपये 21000 उनके हाथ में दिया। उसने बताया कि ये पैसों का लेनदेन थाना परिसर के बाहर किया गया। जबकि इसके वावजूद पांचों को व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद भेज दिया गया। जहां से न्यायालय के निर्देश पर सभी को जुर्माना राशि भुगतान करने पर छोड़ दिया गया। मामले में काम न होने पर जब वह भोला पासवान से अपना पैसे मांगने गया तो उन्होंने बताया कि सारे पैसे थानाध्यक्ष ले लिए हैं। इसी सिलसिले में आज वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा और घटना की सारी जानकारी पुलिस अधीक्षक को दिया। हालंकि मामले में पुलिस अधीक्षक ने उचित जांच – पड़ताल कर कार्रवाई का आश्वाशन दिया है। लेकिन ये पहली घटना नहीं है, गोह थानेदार पर कई ऐसे गंभीर आरोप है, जो लगते रहे हैं, इन पर खास जाति विशेष को सहयोग और भरसक समर्थन का भी आरोप लगते रहे हैं।
हाल ही में एक अन्य मामला थाना क्षेत्र के अक्षर विद्या गृह स्कूल के समीप नहर पर की हैं, जहां बंदेया थाना क्षेत्र के सोसुना गांव निवासी कइल पासवान के 22 वर्षीय पुत्र सतीश पासवान उर्फ डोमा पासवान ने हत्या और लूटपाट की नियत से अपने गांव के ही मधेश्वर यादव के 25 वर्षीय पुत्र प्रवीण कुमार को जोरदार बाइक से धक्का मार दिया जिसमें प्रवीण कुमार का ब्रेन हैम्रेज कर गया है। वह पटना स्थित राजेश्वरी अस्पताल के आईसीयू में करीब एक माह इलाजरत रहा। हालांकि फ़िलहाल वह अर्थव्यवस्था और चिकित्सकों की सलाह पर घर पर हैं। घटना को लेकर प्रवीण के परिजनों ने आरोपी सतीश पासवान उर्फ डोमा पासवान के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई तो आरोपी पक्ष से पैसों का लेन-देन कर , न्यायालय के फैसले से पहले थानेदार के निर्देश पर आरोपी को मुक्त सा कर दिया गया। अर्थात घटना के विपरीत धराएं लगा कर, एक सामान्य दुर्घटना बता कर, मामले को रफा – दफा कर दिया गया। जबकि पीड़ित के परिजन न्याय के लिए पुलीस अधीक्षक से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन नहीं हो सका। लिहाजा आज आरोपी स्वतंत्र हैं। इधर मामले में थानेदार कमलेश पासवान से बात की गई तो उन्होंने आरोप को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसे कोई जानकारी नहीं है।