
मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। पर्यावरण संरक्षण से ही हम आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित पर्यावरण के साथ एक सुरक्षित भविष्य प्रदान कर सकतें हैं। यह बात बिहार सरकार के वन , पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन तथा सहकारिता मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने मंगलावर को जिला मुख्यालय स्तर पर अयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में कहीं। आयोजित बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकारी रूचि सिंह, जैव विविधता प्रबंधन समिति अध्यक्ष-सह- जिला पार्षद गायत्री देवी , अन्य जैव विविधता प्रबंधन समितियों के सदस्यों एवं वन विभाग के वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, वनपाल एवं वनरक्षी उपस्थित हुए। मंत्री डॉ कुमार ने कहा कि आज प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और मानव जीवनशैली के लिए इनके गलत उपयोग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। दूषित पर्यावरण उन घटकों को प्रभावित करता हैं, जो जीवन के लिए आवश्यक हैं। डॉ. कुमार द्वारा जैव विविधता प्रबन्धन समितियों के लिए संदेश दिया गया कि जैव विविधता के सदस्यों की भूमिका, कृषि वानिकी, पशु एवं अन्य उत्पादन व्यवस्था में जैविक विविधता, प्राकृतिक वन क्षेत्रों में जैव विविधता से संबंधित सुझाव दिये गये। जैव विविधता के विभिन्न वनस्पति, पेड़-पौधे, जड़ी-बुटी, धास के स्थानीय प्रजातियों की विवधिता किसी भी भू-भाग में भौगौलिक परिवेश के अनुरूप प्राकृतिक अवस्था में जीव-जंतुओं में वन्य जीवों की विविधता, पक्षियों की विविधता, जलीय जंतुओं की विविधता, कीडे-मकोड़े एवं सूक्षम जीवों की विविधता का पर महत्व दिया गया। प्राकृतिक वनाच्छादन का संरक्षण करना, वृक्षारोपणों का संरक्षण एवं संवर्धन करना। जड़ी-बुटी के खेती एवं वागवानी को प्रोत्साहित करना, कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करना तथा जड़ी-बुटी तथा अन्य वानस्पतिक तथा जैविक उत्पाद के प्राकृतिक स्थलों से निष्कासन और व्यापार को अपने संज्ञान में लेकर उन्हें जैव विविधता अधिनियम के अन्तर्गत बिहार राज्य जैव विविधता पार्षद के माध्यम से अपने विनिमयन में लाना है। इस तरह विनियमन से स्थानीय जैव विविधता प्रबन्धन समिति को ऐसे व्यापार से लाभांश में हिस्सा मिल सकता है। पुराने बउत्रे वृक्षों (पीपल, पाकड़, बरगद, नीम, चह, जंगल जलेबी, सिरिस, शीशम, जामुन, आम इत्यादि) को विरासत वृक्ष के रूप में पहचान मिल सके। इस दौरान जिले के सभी प्रखण्ड में इस बैठक का आयोजन किया गया जिसमें जैव विविधता प्रबंधन समिति के सदस्य शामिल हुए।