राजनीति

जातीय गणना पर विधवा विलाप बंद करें विरोधी पार्टियां – डॉ. सुरेश  

हिम्मत है तो मोदी सरकार देश भर में कराए जातीय गणना 

– मिथिलेश कुमार –

मगध हेडलाइंस: अंबा ( औरंगाबाद ) बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश पासवान ने कहा है कि तमाम अड़चनों एवं भाजपा के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष विरोध के बाद भी बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना का रिपोर्ट सार्वजानिक किया, जो न सिर्फ शत प्रतिशत सही है बल्कि 24 कैरेट सोना की तरह ट्रांसपेरेंट के साथ अद्भुत एवं ऐतिहासिक है। रिपोर्ट जारी होने के बाद एनडीए के कुछ तथाकथित नेताओं के द्वारा इसे फर्जी एवं आधा – अधूरा बताया जा रहा है। जो सरासर गलत है। ऐसा कहकर वे पिछड़े – अतिपिछड़े एवं अनुसूचित जाति-जनजाति को अपमानित कर रहे हैं, उन्हें यह डेटा हज़म नहीं हो रहा है। अगर ऐसे नेताओं को हिम्मत है तो केन्द्र की मोदी सरकार से बिहार सहित पुरे देश में जातिगत गणना कराना चाहिए ताकि सच सबके सामने आ सके। लेकिन इसके लिए इनका जुबान अपने आलाकमान के सामने नहीं खुलेगा क्योंकि वहां तो इनकी हालत भींगी बिल्ली की तरह हो जाती है। बिहार सरकार ने तो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलकर बिहार सहित देशभर में जातिगत गणना कराने की मांग की थी लेकिन केंद्र सरकार ने मना कर दिया। डॉ. पासवान ने कहा है कि ऐसे ही बड़बोले नेताओं के द्वारा अपनी जाति की संख्या बढ़ा चढ़ाकर कर लोकसभा एवं विधानसभा के टिकट से लेकर अन्य कामों के लिए सौदेबाजी (बारगेनिंग) किया जाता रहा है। चूंकि अब तो सभी जातियों का आंकड़ा सार्वजनिक हो जाने से वैसे स्वयंभू नेताओं की दुकानदारी बंद हो जाएगी, जो रातों रात जातिवादी पार्टी बनाकर दुकान चलाया करते थें। अब वे छटपटाहट में बोल रहे हैं कि हमारे जाति की संख्या कम कर दी गई है। जबकि वास्तविकता यह है कि अब जातिवादी नेता अपने-अपने साइज में हो गए है। इनकी बारगेनिंग कैपेसिटी खत्म हो गई है। इसलिए ये लोग अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं। अब तो इधर से उधर और उधर से इधर जो फेरा लगाने वालों का भी शटर डाउन हो गया। इधर सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि बिहार में जातिगत जनगणना के जारी डेटा पर रोक नहीं लगा सकते हैं। बिहार सरकार अपने अधिकार के तहत नियमानुसार यह काम किया है। डॉ. पासवान ने कहा कि भाजपा सहित हम के संरक्षक जीतन राम मांझी,रालोजद के उपेंद्र कुशवाहा, लोजपा (आर) के चिराग पासवान ,वीआईपी के मुकेश सहनी या अन्य लोग जो जातीय गणना पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें अब विधवा विलाप बंद कर इसे स्वीकार करना चाहिए या केंद्र की सरकार से देश भर में जातिय गणना करवाना चाहिए। ताकि दुध का दुध और पानी का पानी हो जाए।

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