डी.के यादव
गया। कोंच कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व श्रीकृष्ण की स्मृति में उनके जन्मदिन के रूप में मनाया गया। यह त्यौहार भादो महीने में कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पांच हजार वर्ष पूर्व इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण का रात्रि के समय उनके मामा कंस की जेल की कोठरी में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस पर्व के दिन कोंच प्रखंड के विभिन्न गांव में श्रद्धालु जन व्रत रखे थे और रात्रि को पूजा और हरि कीर्तन किया। मध्यरात्रि के समय श्रीकृष्ण जन्म के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं द्वारा मन्दिरों में शंख छोटे-घड़ियाल बजाकर और एक दूसरे को शुभकामनाएं व बधाई देकर हर्ष प्रकट किया गया और प्रसाद वितरित किया गया और प्रसाद को खाकर भक्तजनों ने अपने व्रत को तोड़ा। जन्माष्टमी की सौन्दर्यता: बताते चलें कि जन्माष्टमी के दिन गांवों व नगरों के अनेक स्थानों पर श्रीकृष्ण के झूले व झाँकी का प्रदर्शन होता है। इस दिन मन्दिरों की शोभा देखते ही बनती है। मथुरा और वृन्दावन में यह शोभा और भी देखने योग्य होती है। वहां मन्दिरों में रंगीन बल्बों से रोशनी की जाती है। श्रीकृष्ण महाभारत के युद्ध में पाण्डवों के सारथी बने थे तथा गीता का उपदेश दिया था। श्रीकृष्ण द्वारा प्रेरणा : श्रीकृष्ण का संदेश कर्म का संदेश था। उन्होंने युद्ध-क्षेत्र में निराश, हताश अर्जुन को जो सन्देश दिया, वह केवल भारत को ही नहीं अपितु सारे संसार को अपने कर्त्तव्य पर अडिग रहने की प्रेरणा देता रहता है। वहीं , प्रखंड क्षेत्र के कई चुनाव लड़ रहे भावी प्रत्याशियों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं और बधाई दी तो उसास देवरा में नहर के समीप वार्ड सदस्य सह समिति उम्मीदवार पिंटू कुमार ने वृक्षारोपण कर संदेश दिया। वहीं , प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रदीप कुमार चौधरी , कोंच थानाध्यक्ष उमेश प्रसाद तथा आँती थानाध्यक्ष मुन्ना कुमार ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व श्रद्धा एवं अच्छे आदर्शो का प्रतीक है।
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