ब्यूरो रिपोर्ट: औरंगाबाद। गुरुवार की शाम औरंगाबाद जिले का 50वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। यह कार्यक्रम नगर भवन में आयोजित किया गया जिसका विधिवत उद्घाटन एमएलसी दिलीप सिंह, सदर विधायक आनंद शंकर सिंह, डीएम सौरभ जोरवाल, एसपी स्वप्ना गौतम मेश्राम, अपर समाहर्ता आशीष कुमार सिन्हा, डीडीसी अभ्येंद्र मोहन सिंह सदर एसडीओ विजयंत, वरिष्ठ पत्रकार कमल किशोर, नगर परिषद अध्यक्ष उदय गुप्ता, जदयू जिलाध्यक्ष विश्वनाथ सिंह समेत अन्य ने संयुक्त रूप से किया।
वहीं मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसे शहर के दर्शकों ने भी खूब सराहा। डीएम सौरभ जोरवाल ने जिलेवासियों को जिला स्थापना दिवस की बधाई दी और कहा कि जिले की ऐतिहासिक, आध्यात्मिक एवं गौरवशाली सभ्यता और संस्कृति के साथ इसके इतिहास को अक्षुण्ण रखने का काम करें जिससे जिले के वर्तमान को विकसित किया जा सके। अपना जिला विकास के राह पर है कि मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना शराबबंदी, बाल विवाह और दहेज प्रथा के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है।
औरंगाबाद – गया ज़िले का था अनुमंडल : पहले औरंगाबाद गया जिले का हिस्सा हुआ करता था। गया जिले को तीन खंडों में विभाजित किया गया था। गया जिला के अनुमंडल के रूप में रहे औरंगाबाद 26 जनवरी 1973 को ही नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया था। इस बार जिला अपना 50 वीं वर्षगांठ मना रहा हैं। जिला बनने से पहले औरंगाबाद 108 वर्षों तक गया का अनुमंडल रहा था।
जिला बनने के बाद औरंगाबाद लगातार विकास की ओर अग्रसर है। स्वतंत्रता की लड़ाई में यहां के वीरों की योगदान से लेकर आजादी बाद औरंगाबाद को जिला बनने तक की कहानी रोचकपूर्ण है। प्राचीन मगध साम्राज्य का अंग रहे औरंगाबाद सुदृढ़ सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत को तो संजोए ही है। आज औद्योगिक रूप में भी राष्ट्रीय फलक पर उभर रहा है। इसमें बिजली परियोजना व सीमेंट फैक्ट्री समेत कई अन्य छोटे-बड़े उद्योग का अहम योगदान रहा है।
केएएच सुब्रमन्नियम बने थे ज़िले के पहले डीएम : वर्ष 1973 में जिला बनने के बाद पहले जिला पदाधिकारी के रूप में केएएच सुब्रमन्नियम बने थे। प्रताप सिंह कैरे जिले के पहले एसपी के बने थे। दोनों ने जिले के विकास के लिए कई नींव रखी थी।