रफीगंज (औरंगाबाद) पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय में पिछड़ा-अति पिछड़ा को आरक्षण देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के लिए यह निराशाजनक है। यह उक्त बातें जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के प्रदेश महासचिव संदीप सिंह समदर्शी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है।
उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट का फैसला पिछड़ा व अति पिछड़ा सहित अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। निकाय चुनाव पर रोक केंद्र सरकार व भाजपा की गहरी साजिश का परिणाम है। पंचायती राज व्यवस्था और नगर निकायों में जो इन वर्ग समुदाय को आरक्षण मिला है। उसे भाजपा के सारे पर हाई कोर्ट ने खत्म करने का कार्य किया है। ऐसे में केंद्र सरकार को वर्षों से लंबित मामला जातियों जनगणना कराने के बजाय इन समुदाय से आने वाले लोगों की हक मारी कर रही है।
केंद्र सरकार यदि जातियों की जनगणना पर जोर देती तो शायद आज यह नोबत नहीं आती। आज केंद्र सरकार और भाजपा दलित व पिछड़ों का आरक्षण समाप्त करना चाहती हैं। उसी का यह परिणाम है। भाजपा जान बूझकर ऐसा कर रही ताकि अति पिछड़े व दलितों का आरक्षण समाप्त हो जाए। इससे स्पष्ट है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा व अतिपिछड़ों की आरक्षण को समाप्त कर किसी ख़ास वर्ग को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। जो यह कहीं से नैतिक व प्रासंगिक नहीं है।