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चुनाव खत्म, महंगाई की मार से रसोईघर में लगी आग

पलक
महंगाई की मार से जनता लाचार
सासाराम। अप्रत्याशित रूप से बढ़ती इस महंगाई का असर सीधा असर आम आदमी पर पड़ रहा है। वर्तमान में कौन कहता हैं कि महंगाई मुद्दा ही नहीं है। ऐसा कहने वाले जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। ऐसा कहने वाले साधन-सम्पन्न लोग ही हो सकते हैं, जिनके लिए महंगाई कोई मायने नहीं रखती। लेकिन जहां तक अल्प वेतन भोगी, मध्यम वर्ग एवं गरीब वर्ग की बात हो तो उनके लिए महंगाई के कारण घर चलाना मुश्किल हो रखा है।
नवंबर माह से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की वजह से पेट्रोलियम पदार्थों कि कीमतें स्थिर बनी हुई थी लेकिन अब चुनाव समाप्त हो गये है। तो महंगाई पूरी तरह से एक बार फिर रंग में आ गई है। आज जहां इस बढ़ती महंगाई से लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है। वहीं देश की जनता इस महंगाई तंग आ गई है। विशेषकर इसका असर मध्यवर्गीय परिवार पर ज्यादा हुआ है। एक तरफ जहां कोरोना महामारी से लोग अभी ठीक तरह से उभरे भी नहीं की उन्हें रोज़-रोज़ की बढ़ती महंगाई की मार ने कमर तोड़ कर रख दी है। लोगों के पास रुपये नहीं हैं। बच्चों एवं परिवार के लिए पौष्टिक भोजन जुटाना मुश्किल हो गया है।
अर्थात बेकाबू होती महंगाई से जनता में हाहाकार मचा हुआ है। घर के मासिक बजट को व्यवस्थित करने के लिए लोगों ने अपने अन्य खर्चों में कटौती शुरू कर दी है, मगर हर महीने बढ़ती महंगाई से जनता परेशान हो चुकी है। इस साल की शुरुआत से अब तक सबसे ज्यादा पेट्रोल, डीजल, खाद्य तेल और रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफा हुआ है। जबकि ऐसे में सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिये।

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