एक शिक्षक गोद में निर्माण व विनाश दोनों पलता है, गरीबी से जंग, शिक्षा के संग सोच का रूपांतरण
औरंगाबाद। मानव जब जोर लगाता हैं, पत्थर पानी बन जाता हैं, यह बात औरंगाबाद राज्य कर उपायुक्त नरेश कुमार ने बच्चों के लिए आयोजित विशेष कार्यक्रम गरीबी से जंग व शिक्षा के संग सोच का रूपांतरण कार्यक्रम के तहत कहा है। यह कार्यक्रम शहर के नारायण मिशन पब्लिक स्कूल के प्रांगण में आयोजित किया गया। जहां सर्व प्रथम कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस दौरान मुख्य रूप से जिला पार्षद शंकर यादव, जिला पार्षद अनिल यादव, जिला पार्षद शशि भूषण शर्मा, राजद जिला प्रवक्ता डॉ रमेश यादव, आयकर विभाग सुजीत कुमार, सीडीपीओ ममता रानी, स्कूल संचालक समेत कई अन्य मौजूद रहे। राज्य कर उपायुक्त नरेश कुमार ने आगे कहा कि मैं नहीं कह रहा हूं कि किसी को विद्वान बनाना है, या फिर किसी को असाधारण बनाना है। बल्कि इस कार्यक्रम के तहत मैं सोच को रूपांतरित करने की बात कह रहा हूं। जो सामान्य सोच है उसे बदल दिये जाएं। उनके उपर जो सदियों से समाज की गलत परते पड़ी हैं, अगर उसे साफ कर दिया जाएं तो निश्चित रूप से बड़ी क्रांति हो सकती है। दुनिया में जिन लोगों ने बड़ा कार्य किया हैं, वह कोई टैलेंट के बदौलत नहीं किया बल्कि जिन लोगों ने दुनिया में अपना नाम किया, वह बेहद सरल व साधारण रहें और उन्होंने विशिष्ट कार्य किया। दुनिया में अमीरों से ज्यादा गरीबों ने अपना नाम किया है।
श्री कुमार ने कहा कि ऐसे देश व दुनियां में कई लोग हुये जो साधारण क्षमताओं के बदौलत, असाधारण कार्य किया जैसा कि गांधी के बारे में कहा जाता हैं कि उनकी लेखनी पढ़ने के लायक नहीं होती थी लेकिन दुनिया उन्हें राष्ट्रपिता कहती है। वहीं बुद्ध के बारे में क्या आपने सुना है कि वे बहुत बड़े विद्वान थें। अपने गुरुकुल में प्रथम स्थान प्राप्त करते थे। लेकिन उन्होंने जो किया आज पूरी दुनियां उन्हें याद कर रही है। दुनिया माइंड से नहीं बल्कि एटीट्यूड से चल रही है।
श्री कुमार ने कहा कि आज कल जब दो-चार, दस लोग आपस में बैठ जाएंगे ओर वे लोग भाग्य व विधि की बात करतें हैं। जस अपजस प्रभु करेंगे। सब विधि के हाथ में है। अपने मूल चीजों पर कम जबकि गप पर ज्यादा ध्यान देंगे। लेकिन ऐसे में जिन लोगों ने कोशिश की है उन लोगों ने दुनिया बदली है। आमतौर पर लोगों की धारणा होती है की बड़ा आदमी तभी बनेंगे जब पैसा होगा। भगवान की कृपा होंगी तो, बड़े आदमी बनते हैं।
श्री कुमार ने कहा कि गरीबी की रोना रोने वाले लोग कबीर से वह अधिक गरीब नहीं हो सकते। जब कबीर के दरवाजे पर दो-चार लोग बैठ जाते थे तो उनकी पत्नी इस सोच में रहती थी, कि कहीं वह घर पर आए लोगों को शरबत या जलपान कराने को लेकर आवाज़ न दे दे। लेकिन आज वहीं कबीर भगवान बन गए। तो भ्रम पालने से नहीं बल्कि संघर्ष करने से होता है।
श्री कुमार ने कहा कि शिक्षक साधारण बिल्कुल नहीं होता वो तो असाधारण अद्भुत क्षमताओं का मालिक होता है जो नये भविष्य का निर्माण करता है जिसके हाथ में आने वाले समय को भी बदलने की क्षमता होती है जो मिट्टी को भी स्वर्ण में परिवर्तित कर दें वही तो शिक्षक है जिसके गोद में विनाश और निर्माण दोनों खेलते हैं एक योग्य शिक्षक समाज की सबसे बड़ी पूंजी है जिनके कंधों पर विधार्थियों का भविष्य और देश का भी भविष्य टिका होता है। अर्थात जो आप कर सकते हैं, उसे शत प्रतिशत करें। जीवन में मैनेजमेंट की बड़ी भूमिका निभाती हैं। भीड़ का हिस्सा ना बने। किसी के कीमत पर किसी का विकास नहीं होता है।
एक महान मां ने कमजोर दिमाग वाले बच्चे को बनाया एडिसन ‘द ग्रेट’ साइंटिस्ट
श्री कुमार ने दुनिया को बल्ब की रौशनी का तोहफा देने वाले मशहूर वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन के जीवन संघर्ष की कहानी को याद करते हुए कहा कि उनकी मां एक विधवा थी। ऐसे में एक समय की बात है जब एक दिन स्कूल में टीचर ने एडिसन को एक कागज दिया और कहा कि यह ले जाकर अपनी मां को देना। एडिसन ने मां को दिया तो उनकी मां नैंसी मैथ्यू इलिएट जो कि सुशिक्षित डच परिवार से थीं, वह कागज पढ़ते-पढ़ते तकरीबन रो पड़ीं।
मां को रोते देख एडिसन ने पूछा कि ऐसा क्या लिखा है कि आप रो पड़ीं तो मां ने कहा कि यह खुशी के आंसू हैं, इसमें लिखा है कि आपका बेटा बहुत होशियार है और हमारा स्कूल निचले स्तर का है। यहां टीचर भी बहुत शिक्षित नहीं हैं इसलिए हम इसे नहीं पढ़ा सकते. इसे अब आप स्वयं पढ़ाएं। एडिसन भी इस बात से खुश हुए और घर पर मां से ही पढ़ना और सीखना शुरू कर दिया।
कई साल बीत गए, वो पढ़-लिखकर एक स्थापित वैज्ञानिक बीत चुके थे। ऐसे में मां उन्हें छोड़कर दुनिया से जा चुकी थीं। तभी एक दिन घर में कुछ पुरानी यादों को तलाशते उन्हें अपनी मां की अल्मारी से वही पत्र मिला जो उनकी स्कूल टीचर ने दिया था, वो पत्र पढ़कर एडिसन अपने आंसू नहीं रोक सके। क्योंकि उस पत्र में लिखा था कि आपका बच्चा बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर है इसलिए उसे अब स्कूल न भेजें। इसे एडिसन ने अपनी डायरी में लिखा कि एक महान मां ने बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया।