– डी के यादव
राजा बाबन सुब्बा से जुड़ा है खटनही पोखरा का इतिहास
मगध हेडलाइंस: कोंच(गया) तालाबों से सभी को लाभ है, पशु-पक्षी जानवर पानी पी सकते हैं। तालाबों के किनारे पेड़-पौधे होते हैं, इसे पर्यावरण हरा-भरा और सुंदर बनता है। पहले मनुष्य के लिए तालाब ही पानी के सबसे प्रमुख स्त्रोत थे। गांव में कई तालाब होते थे। एक तालाब में बरसात का पानी पीने के लिए होता था, दूसरे में नहाने और कपड़े धोने के लिए होता था। पशु भी तालाब में पानी पीते थे। तालाबों के बाद में कुएं की खोदाई की गई। फिर लोग कुएं से पानी खींच कर पीने लगे। जब तालाबों में पानी होता था तो भूजल स्तर काफी ऊपर होता था। जब से शहरीकरण बढ़ा है, तब से तालाब खत्म होते जा रहे हैं। जिले के सभी गांवों में पहले तालाब थे। अब गिने-चुने गांवों में ही तालाब बचे हैं। तालाब खत्म हो गए तो उनमें जमा होने वाला लाखों लीटर बरसाती पानी व्यर्थ में नालियों में बहकर चला जाता है। जब तक हम पानी को नहीं बचाएंगे तब तक भूजल स्तर भी ऊपर नहीं आएगा। पानी बचाने के लिए तालाबों का होना जरूरी है। तालाबों को बचाने के लिए सरकार के स्तर पर गांवों में तो पहले से काम होता रहा है। अब तो शहरों में जरूरत है। गांवों का पानी अभी भी तालाबों में ही जमा होता है। यही वजह है कि अभी भी गांवों का भूजल स्तर शहरों की अपेक्षा काफी ऊपर है। ‘नवबिहार टाइम्स’ ने काबर स्थित गढ़ के राजा बाबन सुब्बा के काल से निर्मित खटनही में बने 52 बिगहा के पोखरा का दौरा किया। कहा जाता है कि राजा बाबन सुब्बा 52 अंक को शुभ माना करते थे जिसके कारण उनके 52 खिड़की, 52 आंगन, 52 दरवाजे, 52 बिगहा में यह खटनही का तालाब भी शामिल था। दौरा करने पर देखा गया कि यह तालाब काफी दूर में है और इसका काफी अधिक क्षेत्रफल है जो काफी सुहाना और मनमोहक दिख रहा है जिससे लोगों को काफी फायदे होते हैं। जीव जंतुओं सहित मनुष्य को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी यहां ठीक होंगे लेकिन सौंदर्यीकरण का यहां घोर आभाव है। चारों तरफ पेड़ पौधे के अभाव हैं। लोगों को बैठने या टहलने के लिए चारों तरफ से पार्क नुमा शेड की आवश्यकता है। चारों तरफ से घाट का निर्माण नहीं है अगर यह सब सुविधाओं से लैस कर दिया जाय तो यह जगह लोगों के लिए विकसित हो सकता है और एक पर्यटक स्थल के रूप में जाना जा सकता है।