– मिथिलेश कुमार
कुटुंबा(औरंगाबाद) कल्पवृक्ष धाम परता में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला सुथनिया मेला बड़े विवाद के साथ समाप्त हो गया। कमेटी अपने मूल पहचान को भूल कर मेले के विस्तार एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन में व्यस्त रही। कमेटी यह भूल गई कि कई दशकों से स्थानीय लोग नाच गाना देखने नहीं बल्कि कल्पवृक्ष से जुड़ी आस्था की वजह से यहां आते हैं।
कमेटी के द्वारा आस्था के नाम पर कल्पवृक्ष धाम को राजनीति का अखाड़ा एवं आस्था का बाजार बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कल्पवृक्ष धाम के भूमि दाता एवं संस्थापक सदस्य ब्रह्म देव पांडे के वंशज बैजनाथ पांडेय ने वर्तमान मंदिर कमेटी पर पूर्वजों के अपमान आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि मंदिर के बाहरी दरवाजे पर उनके पूर्वज ब्रह्मदेव पांडे का नाम अंकित है। जिसे मंदिर के रंग रोहन के समय मिटाने का प्रयास किया गया। जो निंदनीय है। इससे उनकी भावनाएं आहत हुई है।
कमेटी के सदस्यों ने मंदिर पर अपना वर्चस्व कायम करने की कुटिल मंशा से ऐसा करवाया है। उन्होंने बताया कि कमेटी प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों गांव से धर्म के नाम पर पैसों की उगाही करती है जिसका इस्तेमाल शराब, गांजे एवं गलत कार्यों के लिए किया जाता है।
उन पैसों से मंदिर का विकास कार्य नहीं किया जाता। करीब चार वर्षों से भगवान को भोग भी नहीं लगाया जा रहा है। कमेटी हमारे पूर्वजों के सपनों, मंदिर की प्रतिष्ठा एवं भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है इसलिए कमेटी का पुनर्गठन किया जाए।