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इस कल्प वृक्ष से निकलती हैं अपार सकारात्मक ऊर्जा, लोगों की मन्नते होती हैं पूरी 

मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकला कल्प वृक्ष, 14 रत्नों में से एक हैं यह वृक्ष 

औरंगाबाद। कल्प वृक्ष को लेकर एक ऐसी मान्यता है कि जिसके नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है। यह कल्पवृक्ष वर्षो से लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ हैं। यह कल्प वृक्ष औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड अंतर्गत परता धाम में पड़ता है। जहां वर्षो पुरानी एक मंदिर है।

इस मंदिर में राम, लक्ष्मण, जानकी एवं राधा-कृष्ण के अलावा कई देवी देवताओं की मूर्तियां हैं। कल्पवृक्ष के संबंध में बताया जाता हैं कि यह समुद्र मंथन के दौरान जो 14 रत्न निकले थे उसमें कल्पवृक्ष एक है। लोगों का यह भी मानना है कि इस वृक्ष को भगवान कृष्ण ने यहां स्थापित किया था। कल्पवृक्ष के समान इस दुनिया में कोई दूसरा वृक्ष नहीं है। यहां जो भी श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं उनकी मन्नतें पूरी होती है।

दशरथ दास नागा एवं विजय दास ने कहा कि वर्षो पहले बंगाली स्टेट के श्याम दास ने मन्नतें पुरा होने पर यहां राम, लक्ष्मण, जानकी मंदिर का निर्माण कराया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के कल्पवृक्ष के पास ही राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण कराया। कल्पवृक्ष को आज भी दूध से पटाया जाता है। यहां सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

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उन्होंने बताया कि वर्षो से इस वृक्ष को इसी रूप में देख रहे हैं। पहले बुजुर्ग भी यही बात दुहराया करते थे। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां प्रत्येक वर्ष सरकारी मेला का आयोजन होता है।

हिंदू धर्म में मान्यता है कि कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है। पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृ‍क्ष की भी उत्पत्ति हुई थी।

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