– डी के यादव
मगध हेडलाइंस : कोंच (गया) महिला सशक्तिकरण में ये ताकत है कि वो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकें। वो समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढ़ंग से निपट सकती है। वो देश और परिवार के लिये अधिक जनसंख्या के नुकसान को अच्छी तरह से समझ सकती हैं। अच्छे पारिवारिक योजना से वो देश और परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करने में पूरी तरह से सक्षम है। यूं कहें कि महिला सशक्तिकरण में महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक तरक्की के बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है। लेकिन प्रखंड कोंच में उपरोक्त सभी बातें उल्टा चल रहा है। शुक्रवार को कोंच प्रखंड के 18 पंचायत के मुखिया को लेकर मुखिया संघ के अध्यक्ष , उपाध्यक्ष , सचिव एवं कोषाध्यक्ष का चयन के लिए प्रखंड कार्यालय के किसान भवन में चुनाव आयोजित किया गया जिसमें चबुरा पंचायत के मुखिया संजय यादव अनुपस्थित रहे, जबकि शेष 17 पंचायत के मुखिया में से कई मुखिया अनुपस्थित रहे और उनके बदले में उनके पति या उनके प्रतिनिधि उपस्थित होकर अध्यक्ष , उपाध्यक्ष , सचिव एवं कोषाध्यक्ष का चयन कर लिए हैं। जो प्रखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रखंड कार्यालय के किसान भवन में अध्यक्ष पद के लिए तीन उम्मीदवार राम निवास वर्मा , दिलीप कुमार एवं शिव कुमार चौहान मुखिया संघ अध्यक्ष के लिए खड़े हुए जिसमें उतरेन मुखिया राम निवास वर्मा को 9 मत, परसावां मुखिया दिलीप कुमार को 5 मत तथा गौहरपुर मुखिया शिव कुमार चौहान को 3 मत प्राप्त हुए।
अधिक मत प्राप्त होने पर राम निवास वर्मा को मुखिया संघ का अध्यक्ष चुन लिया गया। वहीं , उपाध्यक्ष पद के लिए तिनेरी मुखिया प्रतिनिधि मो. इंतेशाब को निर्विरोध चुना गया। जबकि तिनेरी पंचायत के मुखिया शबीला बानो अनुपस्थित रहीं। मुखिया संघ का सचिव आँती पंचायत के मुखिया पति संजय यादव को बनाया गया। जबकि आँती मुखिया सुनिता कुमारी अनुपस्थित रहीं। मुखिया संघ के कोषाध्यक्ष मंझियावां पंचायत के मुखिया पति राज बब्बर सिंह को बनाया गया। जबकि मंझियावां मुखिया मंजू देवी अनुपस्थित रहीं। वहीं , मुखिया समर्थकों ने बताया कि प्रखंड के 18 पंचायत में से सिर्फ एक श्रीगाँव पंचायत से महिला मुखिया कलावती देवी शामिल रहीं जबकि अन्य महिला मुखिया को उनके प्रतिनिधि के कारण उपस्थित होने का मौका नहीं मिल पाया। बताते चलें कि महिला सशिक्तकरण 2001 के लिए राष्ट्रीय नीति महिलाओं के अधिकारों और कानूनी हकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सन् 1990 में संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गयी। पंचायतों और नगर निगमों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए सन् 1993 में 73 वां और 74 वां संविधान संशोधन किया गया। बावजूद , उनका हक और अधिकार को छीन लिया जा रहा है जो नारी शशक्तिकरण का अपमान साबित हो रहा है।