
मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। जिला परिषद के सभागार में आज जिला परिषद की सामान्य बैठक हंगामेदार रही। जिप अध्यक्ष प्रमिला देवी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अपने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान पर सदस्यों ने जोर दिया। सदस्यों का कहना था कि पिछले दो वर्षों से बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामविलास सिंह यादव के प्रतिमा स्थल के बहाने पुरखों की विरासत और उनकी प्रतिमा स्थापना को लेकर हंगामा मचा है, लेकिन परिणाम कुछ दिख नहीं रहा है। हालांकि बैठक में एक बार पुनः सर्व सम्मति से विधि संवत् पूर्व मंत्री के प्रतिमा स्थापित करने को लेकर सहमति बनी। साथ ही 25/25 का पुस्तकालय और वॉचनालय का निर्माण कराया जाएगा।
इसके अलावा सदस्य स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, शिक्षा सहित अन्य मुद्दे को लेकर संवेदनशील दिखे। सदस्यों का कहना था कि बैठक में समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया जाता रहा है, लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है जिसके कारण उन लोगों को आम जनता को जवाब देना पड़ता है। सदस्यों ने कहा कि उन लोगों को जनता ने क्षेत्र के विकास के लिए चुनाव में विजयी बनाकर भेजा है। आम लोगों की समस्याओं का समाधान हर हाल में होना चाहिए, लेकिन विभिन्न विभागों की लचर व्यवस्था के कारण आमलोगों का काम नहीं हो पा रहा है।
इस दौरान जिला परिषद सदस्य शोभा कुमारी ने बताया कि पिछले दो वर्षों से बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामविलास सिंह यादव के प्रतिमा स्थल के बहाने पुरखों की विरासत और उनकी प्रतिमा स्थापना को लेकर हंगामा मचा है, लेकिन परिणाम कुछ दिख नहीं रहा है। इसलिए जिला प्रशासन से जानना चाहूंगी कि गोह प्रखंड के उपहारा थाना क्षेत्र स्थित बेला गांव में 80 के दशक में स्थापित संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा का अपमान क्यों?
श्रीमती कुमारी ने कहा कि वर्ष 2017 में टूटे-फूटे बाबा साहेब की प्रतिमा सौंदर्यीकरण में लगे 65 दलित-पिछड़ों पर मुकदमा दर्ज करने करने वाला जिला प्रशासन एक साल बाद ही एनएच-120 पर देवहरा बाजार के दुर्घटना संभावित क्षेत्र में शहीद के नाम पर संतोष मिश्रा की मूर्ति स्थापित हो रही थी, तब मौन क्यों ? क्या सड़क के बीचों बीच स्थापित संतोष मिश्रा का प्रतिमा स्थल कानूनी है? क्या बाबा साहेब का सम्मान शहीद संतोष मिश्रा से भी कम है। क्या ऐसे कृत से अधिकारियों का जातिवादी चेहरा सामने नहीं आता हैं।
ठीक उसी तरीके से जिला परिषद की जमीन पर नगर परिषद की ओर से औरंगाबाद के दानी बिगहा में पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंहा की मूर्ति स्थापित हुई तब जिला प्रशासन इसे गैर-कानूनी नहीं माना। लेकिन जब उसी जमीन पर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामविलास सिंह यादव की प्रतिमा स्थापित की गई तो वह मूर्ति गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। इसमें अधिकारियों के हिम्मत को दाद देनी होगी कि रामविलास बाबू जैसे अति सम्मानित महापुरुष की मूर्ति पुलिस हिरासत में कैद रखा गया है, फिर भी सम्मानित सांसद, विधायक, विधान पार्षद समेत जिले का प्रगतिशील बौद्धिक तबका मौन है। क्या जन प्रतिनिधियों की वैचारिक बौद्धिक संवेदना मर चुकी है? जबकि खुद रामविलास बाबू जेल मंत्री थे।
आजादी के 75 वर्षों के बाद भी पुरखों की विरासत के नाम पर जिला प्रशासन का दोहरा चरित्र क्यों? अगर गोह प्रखंड के बेला गांव में सड़क के बीचों-बीच बाबा साहेब की मूर्ति और औरंगाबाद के दानी बिगहा में रामविलास बाबू की प्रतिमा स्थल गैर-कानूनी है तो फिर जिला मुख्यालय में ही जिला परिषद की जमीन पर भारतीय स्टेट बैंक के सामने नगर परिषद क्षेत्र में राजा राजनारायण सिंह की मूर्ति, बाईपास चौक पर वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा, ब्लाक मोड पर पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा, जसोइया मोड़ पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा, समाहरणालय के सामने अनुग्रह नारायण सिंहा, सत्येंद्र नारायण सिंहा, श्रीकृष्ण सिंह, शंकर दयाल सिंह स्मृति भवन कानूनी कैसे हो सकता हैं। उन्होंने कहा कि मुझे उन लोगों में नहीं समझा जाये जो पुरखों के विरासत के नाम पर सियासत करते हैं। इसलिए जिला प्रशासन से अनुरोध होगा कि अपना दोहरा चरित्र से बाहर निकले और पुरखों की विरासत पर सियासत को हवा देने के बजाय सकारात्मक पहल कर रामविलास बाबू के साथ ही अपमानित हो रहे बाबा साहेब की प्रतिमा स सम्मान स्थापित करने की दिशा में कदम उठाये। इस बैठक में उप विकास आयुक्त अभ्येंद्र मोहन सिंह, जिला परिषद उपाध्यक्ष किरण सिंह, सांसद प्रतिनिधि उदय उज्जवल, सदस्य शंकर यादव, अनिल यादव, सुरेंद्र यादव, अरविंद यादव, मंजू देवी सहित कई अन्य मौजूद रहे।














