औरंगाबाद। सदर प्रखंड स्थित जम्होर थाना अंतर्गत पुनपुन बटाने संगम तट पर 15 दिवसीय पितृपक्ष अमावस्या तिथि को जल तर्पण कार्यक्रम के साथ संपन्न हुई। गया तीर्थ का प्रथम पिंड बेदी स्थल पर अमावस्या तिथि को अपने पूर्वजों के शांति के लिए पितृ तर्पण कार्यक्रम के साथ समाप्त हुई। हिंदी भाषा के शोद्ध प्रज्ञ सुरेश विद्यार्थी ने बताया कि गया पिंड दान के पूर्व प्रथम पिंडदान करने की परंपरा पुनपुन बटाने संगम तट पर ही होती है। यह पुनपुन तीर्थ क्षेत्र मगध के चार धामों में से एक है। मगध का प्रथम धाम गया द्वितीय धाम राजगीर, तृतीय धाम देवकुंड धाम च्यवन आश्रम एवं चतुर्थ धाम पुनपुन तीर्थ को माना जाता है। यह शास्त्रों एवं पुराणों में भी वर्णित है।इसी कड़ी में पुनपुन तीर्थ पर प्रतिवर्ष हजारों तीर्थयात्री गया पिंड दान के पूर्व इस प्रथम पिंड स्थल पर पिंड दान करने के पश्चात ही गया को प्रस्थान करते हैं। इतनी विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल होने के बावजूद भी यह तीर्थ स्थल उपेक्षा का शिकार है। इस तीर्थ स्थल पर घाट की कोई व्यवस्था नहीं है। पेयजल,स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं है। तीर्थ यात्रियों के लिए एक धर्मशाला है वह भी रखरखाव के अभाव में जीर्ण शीर्ण हो चुका है।तीर्थ पुरोहित पुरूषोत्तम पांडेय, कुंदन पाठक, नरोत्तम पांडेय आदि ने बताया कि इस पुनपुन तीर्थ क्षेत्र में लाखो वर्षों से पिंड दान गया पिंड दान के पूर्व प्रथम पिंडदान की प्रक्रिया चलती आ रही हैं। त्रेता युग में भगवान श्रीराम, द्वापर युग में पांडव महाराज ने भी इस तीर्थ स्थल पर पधार कर प्रथम पिंडदान की प्रक्रिया संपन्न की थी। यहां पितृ पक्ष माह के अलावे भी सालों भर प्रथम पिंडदान की प्रक्रिया चलते रहती है। इस स्थल पर जिला प्रशासन के तरफ से कोई सुविधा नहीं दी जाती है।
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