– सूरज कुमार –
मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, औरंगाबाद में शुक्रवार को संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 16वीं पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत शाखा प्रमुख ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, काजल, सुमन, प्रीति, राव करण, विनोद, दिनेश, कमेंद्र आदि ने संयुक्त रूप से दादी प्रकाशमणि के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर की। इस दौरान ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि दादी के अंदर नेतृत्व क्षमता इतनी अदभुत थी कि उनके प्रशासन के दौरान ब्रह्माकुमारी संस्थान की 140 देशों में 8000 से भी अधिक शाखाएं खुलीं तथा हजारों ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी भाई बहनों ने अपना जीवन ईश्वरीय सेवा में समर्पित किया। दादी ने अपने जीवन से अनेक लोगों के जीवन को बनाया। दादी पवित्रता की अवतार थीं। उनकी प्यार भरी मुस्कान और अलौकिक दृष्टि हर आत्मा में शक्ति भर देती थी। दादी ने कभी भी अपने को संस्थान की हेड नहीं समझा, परंतु हमेशा स्वयं को निमित्त सेवाधारी समझ कर चली। निमित्त, निर्माण और निर्मल वाणी उनके जीवन का श्रृंगार था। अपकारियों पर भी उपकार की भावना उनके मन में रहती थी, उनका मानना था कि मुझे सबसे दुआएं लेनी हैं और सबको दुआएं देनी हैं। दादी ने सारे विश्व को प्यार किया और सारे विश्व में शांति का संदेश फैलाया। इस हेतु उन्हें 1987 में विश्व शांति दूत और पांच शांतिदूत पुरस्कार भी मिले। उनकी पुण्यतिथि को प्रतिवर्ष विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि दादी की सबसे बड़ी विशेषता हर्षित-मुखता थी। उनके जीवन में कभी उदासी नहीं देखी। जब हम मन से प्रसन्न होते हैं तभी कोई बेमिसाल कार्य कर दुनिया को कुछ दे पाते हैं। दादी अपने तप और सत्य निष्ठा के बल पर ऐसी सेना खड़ी कर दी जो आज संसार में विकारों और बुराइयों के विरुद्ध एवं खुद की कमी कमजोरी के विरुद्ध लड़ाई लड़कर, सतयुगी दुनिया का निर्माण कर रहे रही हैं। जहां संपूर्ण निर्विकारिता, प्यार ही प्यार है, ऐसी सेनापति थी- दादी प्रकाशमणि।